लगातार चौथी त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में पहुँची टीम इंडिया को अगर चैम्पियन बनना है तो उसे तीन देशों के टूर्नामेंट के फाइनल में हार के ग्रहण को तोड़ना होगा, जिसके कारण पिछले दशक में उसे अधिकतर उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा है।
महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली टीम इंडिया पर त्रिकोणीय फाइनल का ग्रहण इस कदर हावी है कि उसे पिछले दशक में खेली 17 त्रिकोणीय श्रृंखलाओं में से 13 के फाइनल में पहुँचने के बाद 10 बार उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा।
वर्ष 2008 और 2009 में हालाँकि टीम इंडिया का प्रदर्शन बेहतर रहा और उसने तीन में से दो श्रृंखला जीती लेकिन अगर इससे पहले आठ साल की अवधि पर गौर किया जाए तो भारत केवल एक त्रिकोणीय श्रृंखला जीत पाया।
भारत को पिछले दशक में पहली त्रिकोणीय श्रृंखला जीतने के लिए ढाई बरस और सात श्रृंखला का इंतजार करना पड़ा, जब उसने 13 जुलाई 2002 को फाइनल में इंग्लैंड को दो विकेट से हराकर नेटवेस्ट श्रृंखला का खिताब जीता।
इंग्लैंड ने इस मैच में पाँच विकेट पर 325 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था लेकिन भारत ने बीच के ओवरों में लड़खड़ाने के बाद मोहम्मद कैफ (नाबाद 87) और युवराज सिंह (69) की पारियों की मदद से तीन गेंद शेष रहते खिताब जीत लिया था।
भारत को इसके बाद बांग्लादेश में हुई टीवीएस कप त्रिकोणीय श्रृंखला का फाइनल मैच बारिश की भेंट चढ़ने के बाद ट्रॉफी दक्षिण अफ्रीका के साथ बांटनी पड़ी।
नेटवेस्ट श्रृंखला जीतने के बाद टीम इंडिया को लगभग पाँच साल तक त्रिकोणीय खिताब से महरूम रहना पड़ा। भारत ने इस अवधि में छह त्रिकोणीय श्रृंखला खेली, जिसमें से वह चार के फाइनल में पहुँचा लेकिन हर बार उसे खिताब मुकाबले में शिकस्त का ही सामना करना पड़ा।
टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में फरवरी 2008 में कामनवेल्थ बैंक त्रिकोणीय श्रृंखला में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया को पछाड़कर त्रिकोणीय श्रृंखला में खिताब के सूखे को समाप्त किया। लीग मुकाबलों के बाद मेजबान ऑस्ट्रेलिया और भारत फाइनल में पहुँचे थे।
महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई वाली भारतीय टीम ने बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल के पहले दोनों मुकाबले जीतकर श्रृंखला अपने नाम की थी। भारत ने एससीजी पर हुए पहले फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट पर 239 रन पर रोकने के बाद सचिन तेंडुलकर (117) के शतक की मदद से 45.4 ओवर में चार विकेट पर 242 रन बनाकर आसान जीत दर्ज की थी।
दूसरे फाइनल में भी भारत ही राह आसान रही थी जब नौ विकेट पर 258 रन बनाने के बाद उसने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को 249 रन पर समेटकर नौ रन से जीत हासिल करके श्रृंखला पर कब्जा जमाया था। भारत को इसके बाद जून 2008 में बांग्लादेश में हुई त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में भी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। भारत तब मौजूदा त्रिकोणीय एकदिवसीय श्रृंखला के आयोजन स्थल शेरे बांग्ला नेशनल स्टेडियम में पाकिस्तान से हार गया था।
पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए तीन विकेट पर 315 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था, जिसके जवाब में भारतीय टीम 290 रन ही बना सकी और एक बार फिर उसे विजेता की ट्रॉफी से महरूम रहते हुए उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा।
भारत ने हालाँकि पिछले दशक की अपनी अंतिम त्रिकोणीय श्रृंखला में जीत दर्ज की थी जब महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई वाली टीम ने मेजबान श्रीलंका और न्यूजीलैंड को पछाड़कर खिताब जीता था। (भाषा)