महेंद्रसिंह धोनी : कप्तानों के कप्तान...

महेंद्रसिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में श्रीलंका को उसी की धरती पर वनडे सिरीज में पटखनी देकर वह कारनाम किया है, जो इससे पहले कोई भारतीय कप्तान नहीं कर पाया।

श्रीलंका में एकदिवसीय श्रृंखला जीतने के अलावा, ट्वेंटी-20 विश्व कप जीतना, पाकिस्तान को एकदिवसीय श्रृंखला में हराना, ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला जीतना ऐसे कारनामें हैं, जो बतौर कप्तान धोनी के खाते में जमा हैंधोनी ने कम समय में ही विश्व क्रिकेट के दिग्गजों से दाद हासिल कर ली है।

हालाँकि धोनी को टीम इंडिया की कमान संभालते हुए अभी केवल एक साल ही बीता है, लेकिन उन्होंने कुशल टीम नेतृत्व का परिचय दिया है। भले ही श्रीलंका के कप्तान महेला जयवर्धने यह कहें कि धोनी की टीम में कोई खास बात नहीं है, लेकिन बेहतर टीम का फैसला तो मैदान में होता है और मैदान में टीम इंडिया श्रीलंका से बेहतर थी।

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धोनी की कप्तानी में दम तो है। वे बेहतर तरीके से खिलाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि कुछ लोग उन्हें अधिक प्रयोगवादी कप्तान कहते हैं, लेकिन एक कप्तान को अलग-अलग ढंग से सोचना ही चाहिए। धोनी की बड़ी खासियत यह है कि वे खिलाड़ियों से अच्छा तालमेल स्थापित करते हुए चलते हैं।

धोनी हर खिलाड़ी को परिस्थितियों के मुताबिक मौके देते है। कभी कभी जहीर खान से एक ही स्पैल में 8-9 ओवर करवा लेते हैं और कभी पाँच गेंदबाजों के बावजूद अपने पार्ट टाइम गेंदबाजों पर ज्यादा भरोसा दिखाते हैं।

अपना पाँसा उलटा पड़ने पर गलती मान भी लेते हैं, जैसा उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ पहले एकदिवसीय मैच में किया। मैच हारने के बाद धोनी ने माना कि पिच पढ़ने में उनसे भूल हुई। मैदान पर हमेशा शांत दिखने की कोशिश करने वाले धोनी अपने खिलाड़ी की खूबी जानते हैं और लगातार उन्हें प्रेरित करते हैं।

यह धोनी का आत्मविश्वास ही है कि वे अपने से कई साल सीनियर खिलाड़ियों पर कप्तानी कर रहे हैं। सचिन तेंडुलकर के साथ ड्रेसिंग रूम में रहने को खिलाड़ी अपनी उपलब्धि मानते हैं और धोनी को उन्हीं सचिन का कप्तान होने का गौरव प्राप्त है।

सचिन के अलावा वीरेंद्र सहवाग, युवराजसिंह भी धोनी से सीनियर खिलाड़ी हैं और इन्होंने भारतीय टीम की कप्तानी भी की है, लेकिन फिलहाल ये धोनी की कप्तानी में खेल रहे हैं। इस तरह धोनी अपने सफल और प्रेणादायी नेतृत्व से कप्तानों के कप्तान साबित हो रहे हैं।