रणजी के प्रदर्शन को तवज्जो नहीं देते चयनकर्ता

सोमवार, 13 जुलाई 2009 (16:31 IST)
भारतीय टीम में पिछले एक साल में शामिल खिलाड़ियों पर गौर करने पर पता चलता है कि राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने इस बीच इंडियन प्रीमियर लीग के प्रदर्शन को तो तवज्जो दी, लेकिन उन्होंने रणजी ट्रॉफी में दिखाए गए जौहर को खास महत्व नहीं दिया।

दक्षिण अफ्रीका में सितंबर में होने वाली आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी के लिए चुने गए 30 संभावित खिलाड़ियों और ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर जाने वाली इमर्जिंग टीम के चयन में भी यह तथ्य उबरकर आया तथा कई ऐसे युवा और अनुभवी क्रिककेटरों को नजरअंदाज कर दिया गया, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी के पिछले सत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था।

वसीम जाफर, चेतेश्वर पुजारा, अभिनव मुकुंद, तन्मय श्रीवास्तव, पार्थिव पटेल, मोहनीश परमार, लक्ष्मीपति बालाजी, सिद्वार्थ त्रिवेदी आदि ने रणजी और विजय हजारे ट्रॉफी (एकदिवसीय टूर्नामेंट) में अच्छा खेल दिखाया था और इनमें से कुछ खिलाड़ियों के बारे में कहा जा रहा था कि वे जल्द ही राष्ट्रीय टीम में जगह बना सकते हैं।

रणजी ट्रॉफी में मुंबई के कप्तान जाफर ने दस मैच में सर्वाधिक 1260 रन बनाकर वापसी का मजबूत दावा पेश किया था। सौराष्ट्र के मध्यक्रम के बल्लेबाज पुजारा ने पिछले साल तिहरे शतकों की झड़ी लगाकर तहलका मचा दिया था लेकिन घरेलू सत्र समाप्त होते ही वह गुमनामी के अंधेरे में खो गए।

पुजारा ने रणजी ट्रॉफी के नौ मैच में 82.36 की औसत से 906 रन बनाए, जिसमें चार शतक शामिल हैं। आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स के कोच जॉन बुकानन उनके इस प्रदर्शन से अधिक प्रभावित नहीं दिखे और पहले दो सत्र में इस उदीयमान क्रिकेटर को कोई मौका नहीं दिया गया।

तमिलनाडु के अभिनव मुकुंद भी पिछले सत्र में तिहरा शतक जड़ने वाले बल्लेबाजों में शामिल थे। उनके साथी सलामी बल्लेबाज मुरली विजय को मौका मिल गया लेकिन मुकुंद को अब भी मौके का इंतजार है। दिल्ली के आकाश चोपड़ा को तो अब समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें घरेलू क्रिकेट में कैसा प्रदर्शन करना है। पिछले दो सत्र से रनों का अंबार लगाने वाले चोपड़ा ने रणजी और विजय हजारे दोनों में 60 से अधिक औसत से रनबनाए लेकिन यह चयनकर्ताओं का ध्यान खींचने केलिए पर्याप्त नहीं था।

गुजरात के पार्थिव पटेल ने तो विकेट के आगे और विकेट के पीछे दोनों भूमिकाओं में प्रभावशाली प्रदर्शन किया और आईपीएल में भी कुछ अच्छी पारियां खेली। उन्हीं की तरह तन्मय श्रीवास्तव, केदार जाधव, सन्नी सोहाल, शितांशु कोटक, डीबी रवि तेजा आदि के बल्ले का कमाल भी घरेलू रिकॉर्ड से आगे नहीं बढ़ पाया।

पीयूष चावला ने गेंद और बल्ले दोनों से अच्छा प्रदर्शन किया । दिल्ली के योगेश नागर भी अच्छे स्पिनर के साथ बढ़िया बल्लेबाज भी है। गुजरात के स्पिनर मोहनीश परमार (रणजी में 42 विकेट), ने पिछले सत्र में अपने प्रदर्शन से कई पूर्व क्रिकेटरों को कायल बनाया लेकिन वह भी बालाजी (36), सिद्धार्थ त्रिवेदी (34) आदि की तरह चयनकर्ताओं को प्रभावित करने में नाकाम रहे।

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