सचिन की राह पर चले युवराज

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सचिन तेंडुलकर एनडीटीवी और कोकाकोला द्वारा संयुक्त रूप से चलाए जा रहे 'माय स्कूल कैंपेन' के ब्रांड एंबेसेडर हैं, जो कई सौ स्कूली बच्चों को अच्छा वातावरण मुहैया कराने की मुहीम में जुटा है। भारत में आज के बच्चे कल का भविष्य हैं, इसी को लेकर यह कैंपेन चलाया जा रहा है और इसमें दानदाताओं ने भी खुले हाथ से पैसा दिया है।

'माय स्कूल कैंपेन' से प्रेरणा लेकर भारतीय क्रिकेट के 'युवराज' के मन में स्कूली बच्चों के लिए कुछ करने का जज्बा जागा है। युवराज ने गुड़गांव जाकर स्कूली बच्चों को यह भरोसा दिलाया है कि पैसों के अभाव में अब उनके सपने दम नहीं तोड़ेंगे। गुड़गांव में युवराज सिंह ने 'युवराज फाउंडेशन' की नींव रखी है। युवराज फाउंडेशन की मदद से यहां के एक स्कूल के 250 जरूरतमंद बच्चों की मदद की जाएगी।

भारत में क्रिकेट धर्म की तरह माना जाता है और करोड़ों लोग इस खेल को दीवानगी की हद तक प्यार करते हैं। इन लोगों के लिए बताना जरूरी है कि हमारे स्टार क्रिकेटर खेल के बूते पर सिर्फ अपनी तिजोरियां ही नहीं भरते, चैरिटी के लिए भी उनकी जेब से पैसा जाता है। इनका बैंक भले ही करोड़ों में हो लेकिन वे समय-समय पर जरुरत मंदों की सहायता करने में भी पीछे नहीं रहते।

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सचिन तेंडुलकर, महेन्द्र सिंह धोनी बाकायता चैरिटेबल ट्रस्ट चलाते हैं, जो कमजोर और असहाय बच्चों की मदद करती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि सचिन तेंडुलकर मुंबई में एक अनाथ बच्चों की संस्था से भी जुड़े हैं और जब भी मुंबई में होते हैं और उन्हें अकेलापन महसूस होता है तो वे इन बच्चों के बीच जाकर उनकी खुशी को दोगुनी करने से पीछे नहीं रहते।

भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी का विवाह साक्षी रावत के साथ 4 जुलाई 2010 साथ हुआ। विवाह के बाद धोनी ने 'साक्षी फाउंडेशन' की स्थापना की, जो गरीब बच्चों की सहायता करती है। यह संस्था साक्षी की देखरेख में ही पूरा काम करती है।

इसी साल 19 जुलाई को लंदन के हिल्टन पार्क लेन के होटल में धोनी अपने उस बल्ले को नीलाम किया, जिससे 91 रन निकले थे और भारत 28 साल बाद विश्व विजेता बना था। साक्षी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस नीलामी से कुल चार लाख 50 हजार पाउंड की रकम जुटाई गई थी। इस राशि से गरीब बच्चों की मदद की जाएगी। (वेबदुनिया न्यूज)

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