बेटी पैदा होने की खुशी बहुत जल्दी गम में बदल गई। बच्ची का हृदय शरीर के भीतर नहीं, बल्कि बाहर था। डॉक्टरों ने गर्भपात का सुझाव दिया, लेकिन मां नहीं मानी। और अब इसे मेडिकल साइंस के चमत्कारों में गिना जा रहा है।
मेडिकल साइंस की भाषा में इसे एक्टोपिया कॉर्डिस कहा जाता है। इसका पता जन्म से पहले अल्ट्रासाउंड के दौरान ही चल चुका था। मां नाओमी फिंडले और पिता डीन विल्किंस निराश हो चुके थे। डॉक्टरों ने उन्हें गर्भपात की सलाह दी। लेकिन मां बाप का दिल नहीं माना। विल्किंस कहते हैं, "जब वह कहती थी कि गर्भ में शिशु ने आज कोई हलचल नहीं की, तब मैं उम्मीद खोने लगता था।"
गर्भपात की सलाह के तीन हफ्ते बाद 22 नवंबर को अल्पविकसित बच्ची का जन्म हुआ। दिल शरीर से बाहर लटका होने के बावजूद उसने किलकारी भरी। इसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची को तुरंत एक खास प्लास्टिक बैग में लपेटा। ग्लेनफील्ड हॉस्पिटल में अनुभवी डॉक्टरों समेत 50 लोगों की टीम सर्जरी में जुट गई। एक के बाद एक तीन ऑपरेशन हुए। पहले नाजुक पसलियों को हटाया गया। फिर बाएं फेफड़े को खिसकाकर उसके नीचे जगह बनाई गई और वहां हृदय डाला गया। इसके बाद सर्जरी के टांके लगे।
बच्ची अब भी आईसीयू में है। उसके घाव काफी हद तक भर चुके हैं। दो हफ्ते बाद छाती में फेफड़ों के नीचे दिल के लिए पर्याप्त जगह भी बन चुकी है। लेकिन जोखिम अब भी टला नहीं है। दुनिया भर में 10 लाख में से पांच से आठ बच्चों को ऐसी बीमारी होती है। 90 फीसदी से ज्यादा मामलों में बच्चे बच नहीं पाते। मेडिकल साइंस के एक्सपर्टों के मुताबिक यूनाइटेड किंगडम में यह पहला मामला है जब ऐसी हालत वाले शिशु को बचाया गया है। बच्ची का नाम वैनेलोप रखा गया है, वैनेलोप का अर्थ होता है, "उम्मीद।"