मां अगर नौकरी न करे तो उसके बच्चे गरीबी का शिकार हो सकते हैं। यह हालात समृद्ध कहे जाने वाले देश जर्मनी में है। सिर्फ मां या पिता के साथ रहने वाले बच्चों की हालत और भी बुरी है।
बैर्टल्समन फाउंडेशन के शोध में कहा गया है कि जिन परिवारों में पिता कामकाजी हैं और मां घर पर रहती है, उन परिवारों के बच्चे गरीबी का सामना कर सकते हैं। परिवार चलाने का यह पारंपरिक तरीका जर्मनी में आज भी मौजूद है। शोध के मुताबिक मां की आमदनी इस बात का फैसला करने में अहम भूमिका निभाती है कि बच्चे गरीबी में बड़े होंगे या नहीं।
डॉयचे वेले से बात करते हुए बैर्टल्समन फाउंडेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर सारा मेने ने कहा, "जब हमने यह देखा कि बच्चे की स्थिति पर मां की नौकरी का कितना असर पड़ता है तो हम वाकई हैरान हुए।"
स्टडी कहती है कि जिन बच्चों की मां फुल टाइम या पार्ट टाइम काम करती हैं वे वित्तीय रूप से सुरक्षित होते हैं। लेकिन अगर मां लंबे समय तक नौकरी न करे तो एक तिहाई बच्चे गरीबी या लगातार पुनर्वास का सामना करने लगते हैं। बाकी के 30 फीसदी बच्चे भी ऐसी स्थिति में गरीबी रेखा से नीचे जाने का जोखिम उठाते हैं।
शोध में गरीबी को भी परिभाषित किया गया है। एक ऐसा परिवार जिसकी हाउसहोल्ड इनकम औसत पारिवारिक आय से 60 फीसदी कम हो, उसे गरीब कहा गया है। पांच साल लंबे शोध के दौरान 3,180 बच्चों से जुड़ी जानकारी की समीक्षा की गई।
अकेली मांओं की स्थिति तो सबसे ज्यादा बुरी है। अपने बच्चों को गरीबी से दूर रखने के लिए उन्हें हफ्ते में कम से कम 30 घंटा काम करना पड़ता है। लेकिन अकेले मां बाप के लिए नौकरी और बच्चों की देखभाल के बीच तालमेल बैठाना अक्सर नामुमकिन होता है।