कोरोना महामारी के कारण कहीं कम शादियां हो रही हैं तो कहीं तलाक की दर बढ़ रही है। जर्मनी में एक वजह कोरोना शटडाउन के दौरान सरकारी रजिस्ट्रेशन दफ्तरों का बंद होना या कम काम करना है।
कोरोना महामारी के कारण जर्मनी में बहुत से लोगों को अपनी शादी की योजना या तो बदलनी पड़ी है या फिर शादी का इरादा छोड़ देना पड़ा है। शादियां जर्मनी में भी जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होती है, जब दो युवा लोग अपनी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू करते हैं। इस मौके पर वे अपने परिजनों और रिश्तेदारों के अलावा संगी-साथियों को भी शामिल करना चाहते हैं। लेकिन कोरोना रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों के कारण ये आसान नहीं था। इतना ही नहीं, शादियां सरकारी रजिस्ट्रेशन दफ्तर और चर्चों में होती हैं। चर्च तो पूरी तरह बंद थे, रजिस्ट्रेशन दफ्तर भी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे थे।
जर्मन सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस साल की पहली छमाही में करीब 20 फीसदी कम शादियां हुई हैं। वीसबाडेन में जर्मन सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार पिछले साल जनवरी से जून तक 1,39,900 शादियां हुई थीं जबकि इस साल इसी अवधि में 29,200 कम शादियां हुईं। 30 साल पहले जर्मनी के एकीकरण के बाद सिर्फ 2007 ही ऐसा साल था, जब इससे कम शादियां हुई थीं। उस समय पहली छमाही में 1,38,800 लोगों ने शादी की थी। लेकिन एक वजह ये भी थी कि बहुत से लोग 7 जुलाई का इंतजार कर रहे थे। 07.07.07 की वजह से यह दिन शादी के लिए बहुत ही लोकप्रिय दिन था।
शादी का एक मुहूर्त ऐसा भी
इस साल भी कोरोना महामारी के शुरू होने से पहले 02.02.2020 और 20.02.2020 सुंदर-सा दिखने वाला दिन था। ये आसानी से याद रहने वाला दिन था इसलिए बहुत से लोगों ने इस दिन को शादी के लिए चुना। इस साल फरवरी के महीने 21,500 लोगों ने शादी की, जो 1 साल पहले के मुकाबले 7,300 ज्यादा शादियां थीं। मार्च से केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी को रोकने के लिए ढेर सारे कदम उठाए।
कोरोना संकट के कारण पाबंदियां शुरू हो गईं और पंजीकरण दफ्तरों ने भी एहतियाती कदम उठाए। कुछ दफ्तरों को पूरी तरह बंद कर दिया गया तो कुछ ने कम कर्मचारियों के साथ काम किया। बहुत से रजिस्ट्रेशन दफ्तरों ने शादी के समारोहों को छोटा कर दिया या उन्हें पूरी तरह रद्द कर दिया। इस समय साफ नहीं है कि शादियां सिर्फ टाली गई हैं या उन्हें पूरी तरह रद्द कर दिया गया है? ये बात कोरोना संकट समाप्त होने के बाद आने वाले आंकड़ों से पता चलेगी। मार्च और अप्रैल की पाबंदियों के बाद मई और जून में हालात सुधरे और फिर से ज्यादा लोगों ने शादियां कीं। हालांकि जून में हुई 39,700 शादियों की संख्या संकट शुरू होने से पहले के स्तर से काफी कम रहीं।
महामारी के दौरान बढ़े तलाक
जर्मनी में कोरोना महामारी के कारण शादियां कम हुईं हैं तो बहुत से देश ऐसे हैं, जहां लॉकडाउन के दौरान तलाक के मामले बढ़ गए। ऐसे परिवारों में जहां पति-पत्नी के बीच नहीं बनती थी या पति मारपीट करने वाला था, वहां लॉकडाउन ने उन्हें सारा समय साथ रहने को मजबूर कर दिया।
जापान में 'कोरोना डाइवोर्स' शब्द ही चल पड़ा है। कोविड-19 से पहले जापान में घरेलू हिंसा के खिलाफ मदद मांगने वाली महिलाओं की संख्या पिछले 16 सालों से लगातार बढ़ रही थी। कोरोना महामारी के बाद ऐसे मामलों में और वृद्धि हुई। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार अप्रैल 2020 में करीब 13,000 महिलाओं ने घरेलू हिंसा विरोधी दफ्तर की मदद ली, जो 1 साल पहले के मुकाबले 1.3 गुना ज्यादा थी।
इस साल दुनियाभर से महिलाओं ने लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायत की। जापान, दक्षिण कोरिया और हांगकांग जैसे एशियाई इलाकों में लैंगिक हिंसा और सामाजिक आर्थिक असमानताएं कोरोना महामारी के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आए।