पृथ्वी के भौगोलिक ध्रुवों और चुंबकीय ध्रुवों में अंतर हैं। इस अंतर की सटीक गणना से जीपीएस काम करता है। लेकिन पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव बड़ी तेजी से खिसक रहा है।
वैज्ञानिक वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल (WMM) के नए अपडेट की तैयारी कर चुके हैं। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से आ रहा बदलाव इसकी वजह है। अपडेट 15 जनवरी को होना था। लेकिन अमेरिका में शटडाउन की वजह से इसमें देरी हो रही है। अब नई तारीख 30 जनवरी तय की गई है।
भौगोलिक उत्तरी ध्रुव और चुंबकीय उत्तरी ध्रुव में अंतर है। भौगोलिक ध्रुव हमेशा अपनी जगह पर कायम रहते हैं। वहीं चुंबकीय ध्रुव लगातार खिसकते रहते हैं। विज्ञान मामलों की पत्रिका नेचर की रिपोर्ट के मुताबिक चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी से अपनी जगह बदल रहा है।
वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल को हर पांच साल में अपडेट किया जाता है। आखिरी बार यह अपडेट 2015 में किया गया था। लेकिन 2016 में पता चला कि चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अनुमान से ज्यादा तेज रफ्तार से जगह बदल रहा है। 2018 में यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन और ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि जल्द ही WMM को अपडेट करने की जरूरत है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, मौजूदा WMM "में इतनी ज्यादा त्रुटियां आ चुकी हैं कि इसके चलते नेविगेशन में आने वाली गलतियों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।"
पृथ्वी के गर्भ में होने वाली हलचलों का असर चुंबकीय क्षेत्रों पर पड़ता है। धरती के भीतर लोहे के बहाव का इस पर सीधा असर होता है।
रोजमर्रा की जिंदगी में हम अक्सर नेविगेशन के लिए जीपीएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। हवाई जहाज, समुद्री जहाज और स्मार्टफोन WMM के जरिए ही नेविगेशन को सटीक बनाते हैं। अमेरिका के भू-अंतरिक्ष इंटेलिजेंस एजेंसी के वैज्ञानिक जेम्स फ्रीडरिष इसे समझाते हुए कहते हैं, "आपका रुख, आप किस दिशा का सामना कर रहे हैं, यह सब चुंबकीय क्षेत्र पर ही निर्भर है।"
फ्रीडरिष के मुताबिक, "हमारे युद्ध के लड़ाके इसी के आधार पर नक्शे की जानकारी अमल में लाते हैं। आपके स्मार्टफोन का कैमरा और कई ऐप्स मैग्नेटिक फील्ड की मदद लेकर तय करते हैं कि आप किस दिशा का सामना कर रहे हैं। इन सभी उदाहरणों के लिए यह जरूरी है कि WMM आपको सही रुख की जानकारी दे।"
वैज्ञानिकों को अभी यह नहीं पता कि चुंबकीय क्षेत्र में तेज बदलाव की सटीक वजह क्या है। समुद्र की जलधाराएं और धरती के गर्भ का पिघला लोहा इस पर असर डालते हैं। लेकिन इतनी तेज रफ्तार से परिवर्तन, यह अब भी रहस्य है।