5 साल पहले वैश्विक नेताओं ने जो तापमान की सीमा तय की थी, दुनिया उसको पार करने के करीब पहुंच रही है। संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि अगले दशक या उसके बाद तक यह और बढ़ सकता है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन और अन्य वैश्विक विज्ञान समूहों द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक अगले 5 सालों में दुनिया में 4 में से 1 बार ऐसा मौका आ सकता है, जब साल इतना गर्म हो जाएगा कि वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर चला जाएगा।
साल 2015 में हुए पेरिस समझौते के तहत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है ताकि वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके। पेरिस समझौता मूल रूप से वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से जुड़ा है। साथ ही यह समझौता सभी देशों को वैश्विक तापमान बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की कोशिश करने के लिए भी कहता है। 2018 में आई यूएन की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया इससे भी ज्यादा गर्म होती है तो बच जाएगी लेकिन इससे खतरनाक समस्याओं की आशंका काफी बढ़ जाएगी।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी हुई है, जब अमेरिका मौसम की मार झेल रहा है। कैलीफोर्निया के जंगलों में आग से भारी तबाही मची है तो वहीं राज्य में गर्म थपेड़ों से लोग बेहाल हैं, वहीं 2 शक्तिशाली तूफान भी देश के कुछ हिस्सों में चिंता का सबब बने रहे। इसी साल डेथ वैली में तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस को छू गया तो साइबेरिया में तापमान 38 डिग्री के पास जा पहुंचा। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक नोह डिफेनबाग कहते हैं कि वॉर्मिंग जो पहले ही हो चुकी है, उसने चरम घटनाओं के आसार को बढ़ा दिया है, जो हमारे ऐतिहासिक अनुभव में अभूतपू्र्व है।
गर्म होती धरती
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया 19वीं शताब्दी के अंतिम सालों की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म हो चुकी है और बीते 5 साल अपने पूर्व के 5 सालों से अधिक गर्म रहे हैं। यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी तालस का कहना है 1.5 डिग्री सेल्सियस की संभावना साल-दर-साल बढ़ रही है। अगर हम अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लाते हैं तो यह हो सकता कि अगले दशक तक हो जाएगा।
2018 में आई यूएन की रिपोर्ट की तुलना में तापमान कहीं अधिक तेज गति से बढ़ रहा है। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि धरती का तापमान 1.5 डिग्री 2030 और 2052 के बीच बढ़ेगा। मौसम विज्ञानी जेके हाउसफादर इस रिपोर्ट पर कहते हैं कि यह दस्तावेज वैज्ञानिकों के लिए अच्छा अपडेट है, जो कि वे पहले से ही यह जानते हैं। हालांकि हाउसफादर इस नई रिपोर्ट को बनाने में शामिल नहीं थे। वे कहते हैं कि यह स्पष्ट रूप से जाहिर है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और दुनिया पेरिस समझौते के लक्ष्य के रास्ते से दूर है।
रिपोर्ट में कोयला आधारित अर्थव्यवस्था से हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने, समाज और लोगों को सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया गया है। वहीं इस रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा कि बड़े प्रदूषणकारी देश जैसे चीन, अमेरिका और भारत को कार्बन न्यूट्रल बनने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को पलटना और तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहती है तो फिर देर करने के लिए अब समय नहीं है।