पाकिस्तान की सत्ता से इमरान की विदाई क्यों चाहते हैं फजलुर रहमान

बुधवार, 13 नवंबर 2019 (11:12 IST)
पाकिस्तान में लाखों की तादाद में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बीते 1 हफ्ते से इस्लामाबाद में डेरा डाले बैठे हैं। ये लोग अपने नेता फजलुर रहमान के हुक्म के इंतजार में हैं ताकि इमरान खान के घर की तरफ मार्च कर सकें।
 
पाकिस्तान के ताकतवर धार्मिक नेता फजलुर रहमान जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी के प्रमुख हैं। उनका दावा है कि इमरान खान चुनाव में गड़बड़ियों के दम पर देश के प्रधानमंत्री बने हैं। जुलाई 2018 में हुए इन चुनावों में रहमान की पार्टी हार गई थी।
 
इस वक्त देश की दूसरी विपक्षी पार्टियां भी रहमान को समर्थन दे रही हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) भी शामिल है। पीपीपी के प्रमुख पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी हैं।
 
फजलुर रहमान देश की प्रमुख दक्षिणपंथी पार्टी के मुखिया हैं और नियमित रूप से चुनावों में हिस्सा लेते हैं। उन्हें संसदीय लोकतंत्र में भरोसा है। वे 1988 से मई 2018 तक नेशनल असेंबली के सदस्य रहे हैं और 2004 से 2007 के बीच संसद में विपक्षी दल के नेता भी थे। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उन्हें संसद की कश्मीर कमेटी का चेयरमैन भी बनाया था।
 
फजलुर रहमान पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के भी करीबी माने जाते हैं। हालांकि इन सबके बावजूद रहमान इस्लामी कट्टरपंथी भी माने जाते हैं और उनकी पार्टी मांग करती है कि देश में इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक ही कानून बनाए जाने चाहिए। डीडब्ल्यू को दिए इंटरव्यू में रहमान ने कहा कि अब वक्त आ गया है, जब देश की ताकतवर सेना को अपना 'समर्थन' प्रधानमंत्री इमरान खान से वापस ले लेना चाहिए।
डीडब्ल्यू : क्या आपने प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे के लिए कोई समयसीमा तय की है?
 
फजलुर रहमान : नहीं, हमने नहीं किया है लेकिन हम उनके इस्तीफे के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे।
 
क्या आपको लगता है कि आपके प्रदर्शनों के नतीजे में सेना इमरान खान से कथित समर्थन वापस ले लेगी?
 
सेना निष्पक्ष होने का दावा करती है। इसके साथ ही वह कहती है कि सरकार का समर्थन कर रही है तो उसे अपनी स्थिति को साफ करना होगा। क्या आप खान का समर्थन कर रहे हैं या नहीं?
 
कुछ राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि आपका विरोध वास्तव में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाए जाने के खिलाफ है, इमरान खान के खिलाफ नहीं। क्या यह सही है?
 
नहीं, हमारा विरोध पिछले साल के चुनाव में हुई धांधली और मौजूदा सरकार के खिलाफ है।
 
आपका आरोप है कि सेना ने जुलाई 2018 के चुनाव में इमरान खान का समर्थन किया?
 
मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। चुनाव में धांधली का ही नतीजा है कि सेना आज विवादित हो गई है। हम नहीं चाहते हैं कि हमारी राष्ट्रीय संस्थाएं विवादित हों। हम हमारे देश की संस्थाओं को मजबूत बनाना चाहते हैं। उन्हें विवादों में नहीं पड़ना चाहिए।
 
क्या पाकिस्तान की सेना राजनीति में शामिल है?
 
मैं इस बात पर यकीन करना चाहता हूं कि वे विवादों में नहीं पड़ना चाहते। वो नहीं चाहते कि लोग उनकी भूमिका की आलोचना करे। वे अपना राष्ट्रीय चरित्र बनाए रखना चाहते हैं और हम भी यही चाहते हैं।
 
पाकिस्तान के चुनाव भविष्य में साफ-सुथरे हों यह कैसे हो सकता है?
 
सेना को चुनाव में कोई भूमिका नहीं निभानी चाहिए। आईएसआई (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस) को भी दूरी बना कर रखनी चाहिए। आईएसआई ने 2018 के मतदान में दखल दिया था।
 
आपने कहा था कि पाकिस्तान को कानून का शासन कायम रखना चाहिए। ईसाई महिला आसिया बीबी जो कई सालों तक ईशनिंदा के आरोपों में जेल में रहीं, जब देश की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा किया तो आपने और आपकी पार्टी ने इसे स्वीकार नहीं किया?
 
हमें यह जरूर याद रखना चाहिए कि यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अमेरिका और दूसरे देशों ने बीबी के पक्ष में बयान जारी किए थे। इन बयानों ने सरकार और अदालत पर दबाव बनाया। उन्हें कोई हक नहीं है कि हमारे आंतरिक मामले में दखल दें।
 
क्या आपको लगता है कि सरकार ईशनिंदा कानूनों में संशोधन करना चाहती है?
 
अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर कानून बदलने के लिए दबाव बना रहा है। यह कहना गलत है कि ये कानून अल्पसंख्यकों के अधिकार के खिलाफ हैं। मैंने यूरोपीय संघ को बताया कि 500 से ज्यादा ईशनिंदा के मामले मुसलमानों के खिलाफ हैं जबकि महज 40-50 मामले ही बीते सालों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ दायर किए गए हैं। तो ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ है? हमारे पैगंबर के प्रति सम्मान हमारी आस्था है। हम इससे कोई समझौता नहीं कर सकते, हम हमेशा इसकी रक्षा करेंगे।
 
आलोचक कहते हैं कि आप राजनीतिक फायदे के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। आप इस दावे पर क्या कहेंगे?
 
यह देश इस्लामी सिद्धांतों पर बनाया गया था। इस्लामी धाराएं हमारे संविधान में शामिल की गई हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे संविधान की इज्जत की जाए।
 
(यह इंटरव्यू डीडब्ल्यू उर्दू सेवा के संवाददाता सत्तार खान ने लिया है।)

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