भारत और सिंगापुर के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, स्किल डेवलेपमेंट, डिजिटल तकनीक और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में 4 समझौते हुए हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 दिन की सिंगापुर यात्रा पर गए थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर उत्पादन में सहयोग समेत 4 समझौते हुए। 5 सितंबर को पीएम मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी एईएम होल्डिंग्स लिमिटेड का भी दौरा किया।
सिंगापुर की यात्रा से पहले मोदी ने ब्रुनेई में सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया से द्विपक्षीय वार्ता की थी। मोदी ने सुल्तान बोल्किया से मुलाकात के दौरान कहा कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' और 'हिन्द-प्रशांत क्षेत्र' विजन में महत्वपूर्ण साझेदार हैं।
मोदी : भारत में सेमीकंडक्टर पर जोर
यह मोदी का 5वां सिंगापुर दौरा था। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से बातचीत में उन्होंने सिंगापुर को भारत की एक्ट-ईस्ट नीति के लिए बहुत अहम बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर ले जा रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा, 'सिंगापुर सिर्फ एक देश नहीं है, सिंगापुर हर विकासशील देश के लिए एक प्रेरणा है। हम भी भारत में अनेकों सिंगापुर बनाना चाहते हैं और मुझे खुशी है कि हम इस दिशा में मिलकर कोशिश कर रहे हैं।'
प्रधानमंत्री मोदी ने एक सोशल पोस्ट में लिखा, 'प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मेरी बातचीत कौशल प्रशिक्षण, स्वास्थ्य, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित रही। हम दोनों व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने की जरूरत पर सहमत हुए।'
भारत की नजर सेमीकंडक्टर बाजार पर
मोदी ने सिंगापुर के शीर्ष कारोबारियों के साथ भी मुलाकात की। यहां उन्होंने कहा कि भारत प्रगतिशील नीतियों के साथ आगे बढ़ रहा है, देश में राजनीतिक स्थिरता है और वह सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में जोरदार तरीके से आगे बढ़ रहा है। सिंगापुर के व्यापार मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'सिंगापुर और भारत अपने सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम में पूरक शक्तियों का लाभ उठाएंगे और अपनी सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में लचीलापन लाने के मौकों का इस्तेमाल करेंगे।'
सिंगापुर को सेमीकंडक्टर उत्पादन में खासा अनुभव है। छोटे से देश सिंगापुर ने इस क्षेत्र में लंबे समय से अच्छा प्रदर्शन किया है। मिसाइलों से लेकर मोबाइल फोन और कारों से लेकर कम्प्यूटर तक सेमीकंडक्टर चिप्स की अहमियत को देखते हुए सिंगापुर के साथ इस समझौते का बड़ा भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक महत्व हो सकता है।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत कर रहा है बड़ा निवेश
आने वाले कुछ सालों में भारत सेमीकंडक्टर बाजार में बड़ी भूमिका के साथ खुद को स्थापित करना चाहता है। सेमीकंडक्टर भारत के व्यापार एजेंडे का एक प्रमुख हिस्सा है। इसके अंतर्गत ताइवान जैसे चिपमेकिंग दिग्गजों के साथ भविष्य में मुकाबला करने और इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए 10 अरब डॉलर का पैकेज दिया गया है। भारत को उम्मीद है कि 2026 तक उसका सेमीकंडक्टर बाजार 63 अरब डॉलर का हो जाएगा।
भारत ने अपने सेमीकंडक्टर मिशन को साल 2021 में 76,000 करोड़ रुपए की चिप प्रोत्साहन योजना के साथ लॉन्च किया था। इसके तहत केंद्र सरकार ने प्लांट की पूंजी लागत का आधा हिस्सा सब्सिडी के रूप में देने की पेशकश की थी। इसी साल फरवरी में केंद्रीय कैबिनेट ने लगभग 1।26 लाख करोड़ रुपए के निवेश के साथ सेमीकंडक्टर से जुड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।
फरवरी में ही सरकार ने सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट लगाने के लिए टाटा समूह और ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (पीएसएमसी) के बीच साझेदारी की घोषणा की थी। कैबिनेट ने अब तक प्रोत्साहन योजना के तहत 4 असेंबली यूनिट्स समेत 5 सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी है।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कहां है सिंगापुर?
सिंगापुर में सेमीकंडक्टर उद्योग खासा विकसित है जिसे वहां के पहले प्रधानमंत्री ली कुआन यू की सोच और दूरदर्शिता का नतीजा बताया जाता है। मौजूदा वक्त में सिंगापुर ग्लोबल सेमीकंडक्टर उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है। साथ ही, वैश्विक वेफर निर्माण क्षमता का 5 प्रतिशत और वैश्विक सेमीकंडक्टर उपकरणों का 20 प्रतिशत हिस्सा देश में बनाया जाता है। सिंगापुर का सेमीकंडक्टर क्षेत्र देश की जीडीपी में 7 प्रतिशत तक योगदान देता है। सरकार भी अनुकूल नीतियों और टैक्स छूट के जरिए उद्योग को समर्थन देती है।
दुनिया की टॉप 15 सेमीकंडक्टर कंपनियों में से नौ ने सिंगापुर में अपना कारोबार स्थापित किया है। यह सेक्टर देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। आने वाले समय में भारत को सिंगापुर से टैलेंट डेवलेपमेंट और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रियल पार्कों के मैनेजमेंट के बारे में ज्ञान साझा करने की उम्मीद है।