आधार कार्ड की फोटोकॉपी साझा करने की चेतावनी वाले बयान को सरकार ने वापस तो ले लिया है लेकिन कई लोग सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और डाटा सुरक्षा के सरकार के दावों पर संदेह जता रहे हैं।
सरकार ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की उस सलाह को वापस ले लिया है, जिसमें लोगों को किसी भी संगठन के साथ अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी साझा करने पर चेताया गया था। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि वह दिशा निर्देश वापस ले रहा है, क्योंकि इसकी गलत व्याख्या हो सकती है। पहले लोगों को सलाह दी गई थी की वे आधार कार्ड की फोटोकॉपी साझा न करें।
विपक्षी दलों और सोशल मीडिया पर लोगों ने आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए और सरकार को घेरने की कोशिश की। नए दिशानिर्देश जारी होने के बाद इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि सरकार ने भी मान लिया है कि आधार के डाटा लीक होने का अंदेशा है तो यह गंभीर मुद्दा है।
भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सरकार के फैसले को लेकर एक तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की और कहा कि आधार पर सरकार के दिशानिर्देश को पढ़ने के बाद उनके दिमाग में कुछ इस तरह की तस्वीर सामने आती है।
दूसरी ओर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी सरकार के उस सलाह को वापस लेने की आलोचना की है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट कर कहा, "सारी दुनिया में आधार बंटवाने के बाद सरकार को याद आया-आधार की फोटोकॉपी का दुरुपयोग हो सकता है, इसीलिए छुपा कर सिर्फ 4 अंक साझा कीजिए।।।फिर आनन फानन में इस ऑर्डर को वापस ले लिया गया। सरकार है या सर्कस?"
सारी दुनिया में आधार बँटवाने के बाद सरकार को याद आया-आधार की फ़ोटोकॉपी का दुरुपयोग हो सकता है, इसीलिए छुपा कर सिर्फ़ 4 अंक साँझा कीजिए
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) May 29, 2022
सवाल और आशंका उठने के बाद 29 मई को सरकार की ओर से नया बयान जारी करते हुए कहा गया कि गाइडलाइंस से कई तरह के गलत अर्थ निकाल लिए गए, जिस वजह उसे वापस लिया गया है। सरकार का दावा है कि आधार से जुड़ा डाटा पूरी तरह से सुरक्षित है। सरकार ने लोगों से विशिष्ट आईडी का इस्तेमाल करते समय "सामान्य विवेक" का प्रयोग करने का आग्रह किया है।
आधार और लोगों की निजता से जुड़े मुद्दे उठने पर बीच-बीच में सरकार और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कई तरह के दिशानिर्देश जारी किए जाते रहे हैं। दो साल पहले सरकार ने वर्चुअल आईडी को पेश किया था। तब यूआईडीएआई ने कहा था कि अब लोगों को आधार की जानकारी की जगह 16 नंबर की वर्चुअल आईडी देनी होगी।
कैसे रखें आधार को सुरक्षित
यूआईडीएआई के पास एक आधार का खास वर्जन होता है जिसे मास्क्ड आधार कहा जाता है। मास्क्ड आधार में लोगों की 12 डिजिट की पूरी संख्या नहीं दिखाई देती है बल्कि इसमें आधार के आखिरी चार अंक ही दिखाई देते हैं। इसे ऑनलाइन हासिल किया जा सकता है।
मास्क्ड आधार का इस्तेमाल आधार के दुरुपयोग से बचने के लिए किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि हर किसी को अपने आधार की जानकारी नहीं साझा करनी चाहिए। जहां बहुत ज्यादा जरूरी हो वहीं पर आधार संख्या साझा करना चाहिए। कई जगहों पर आधार डाटा को रखा जा सकता है जिसका बाद में गलत इस्तेमाल होने की आशंका रहती है। इसी के साथ आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर आने वाले वन टाइम पासवर्ड को भी किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।