खौलती गर्मियों के लिए कितनी तैयार है दुनिया

DW

मंगलवार, 21 मई 2024 (07:36 IST)
हर साल गर्मी के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। विकास का जाप करतीं अर्थव्यवस्थाएं, क्या इस जानलेवा तपिश से लाखों लोगों की जान बचाने को तैयार हैं? मियामी, मेलबर्न, ढाका, फ्रीटाउन और एथेंस में महिलाओं को चीफ हीट अफसर की जिम्मेदारी दी गई है। इन अफसरों को अपने शहरों को बढ़ती तपिश से बचाना है। ALSO READ: गर्म, सूखी, प्रदूषित पृथ्वी पर बढ़ रही हैं बीमारियां
 
अमेरिका स्थित एक थिंक टैंक ने तीन साल पहले चीफ हीट अफसर पद शुरू किया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, तेजी से उबलती दुनिया में आज यह पद बहुत ही अहम हो चुका है। जीवाश्म ईंधन की खपत से वैश्विक तापमान लगातार ऊपर चढ़ रहा है।
 
वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले साल उत्तरी गोलार्ध में इतनी गर्मी पड़ी कि करीब 2,000 साल का रिकॉर्ड टूट गया। 2023 को धरती पर अब तक सबसे गर्म वर्ष कहा गया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेष भी इसे "वैश्विक उबाल का दौर" कह चुके हैं। 2024 में भी भीषण गर्मी अब तक एशिया के कई देशों को झुलसा चुकी है।
 
यूरोप में 2022 की गर्मियों में करीब 61,000 लोगों की मौत हुई। बीते कुछ सालों से कई यूरोपीय देशों में गर्मियों में जंगलों में भीषण आग लग रही है और बड़े पैमाने पर सूखा भी पड़ रहा है। सकून भरी गर्मियों की जगह अब चिंताभरी तपिश की आशंकाएं हावी होने लगी हैं।
 
गर्मी को हल्के में ले रहा है इंसान
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर की उप-प्रमुख हीट अफसर क्रिस्टा मिल्ने के मुताबिक, तेज और लंबी अवधि तक पड़ने वाली गर्मी के बावजूद ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि ये कितनी खतरनाक हो सकती है। वह कहती हैं, "ऑस्ट्रेलिया में, बाकी दुनिया की तरह ही, गर्मी दूसरी प्राकृतिक आपदाओं के मुकाबले ज्यादा लोगों की जान लेती है और अब भी लोग इसे नहीं समझते हैं और इसीलिए इसके लिए तैयार भी नहीं रहते हैं।"
 
भीषण गर्मी से हीट स्ट्रोक पड़ सकता है। किडनियां नाकाम हो सकती है और हृदय या सांस संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं। गरीब देशों में बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, किसान और दिहाड़ी मजदूर, इसके सबसे आसान शिकार बन सकते हैं। 
 
मेलबर्न की तैयारियां
यूएन के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की अप्रैल में आई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल काम काज के दौरान करीब 19,000 लोग गर्मी के चलते मारे जा रहे हैं। मिल्ने कहती हैं, "आसान भाषा में कहें तो एक ऐसा बिंदु आता है जब शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है।"
 
मेलबर्न शहर में मार्च में तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक जाने लगा है। प्रशासन अब वहां 3,000 पेड़ लगाने जा रहा है। पेड़ों के इस आवरण से शहर का तापमान 4 डिग्री कम करने में मदद मिलेगी। सिटी काउंसिल एक नए प्रस्ताव पर भी काम कर रही है। प्रपोजल के मुताबिक, भविष्य में हर इमारत के अपने क्षेत्रफल का एक खास अनुपात हरियाली के लिए छोड़ना होगा।
 
एथेंस की रणनीति
चीफ हीट अफसर पोस्ट शुरू करने वाली अमेरिका स्थित संस्था आड्रीने आर्ष्ट-रॉकफेलर फाउंडेशन रेजीलिएंस सेंटर के मुताबिक, 2050 तक दुनिया भर में 3।5 अरब लोगों को गर्मी प्रभावित करने लगेगी। पीड़ितों में आधे शहरों के बाशिंदे होंगे।
 
मई 2023 में ग्रीस की राजधानी एथेंस की चीफ हीट अफसर नियुक्त हुई, इलिजावेट बारजियानी कहती हैं, "गर्मी, सबसे ज्यादा घातक जलवायु खतरा है।"
 
एथेंस यूरोप में गर्मी की रैकिंग करने वाला पहला शहर है। वहां गर्मी को एक से तीन की श्रेणी में रखा जाता है। इन श्रेणियों के जरिए लोगों को पता चलता है कि वह गर्मी से बचाव करते हुए अपना दिन कैसे प्लान करें। इस रैंकिंग की मदद से हीट अफसर शहर के अहम पर्यटक स्थलों को बंद भी कर पाते हैं।
 
फ्रीटाउन भी पीछे नहीं
यूजेनिया कारग्बो, सिएरा लियोन की राजधानी फ्री टाउन की चीफ हीट अफसर हैं। उन्होंने आम लोगों को गर्मी से बचाने के लिए शहर के तीन बड़े खुले बाजारों को छायादार कवर मुहैया कराए हैं। इन कवरों के जरिए 2,300 महिला कारोबारियों को गर्मी से राहत तो मिलती ही है, साथ ही उनके प्रोडक्ट भी जल्दी खराब नहीं होते हैं। इन सस्ते कवरों में सोलर पैनल भी लगाए गए हैं। इनसे पैदा होने वाली बिजली का इस्तेमाल रोशनी और पंखे चलाने में किया जाता है।
 
ढाका की चुनौतियां
बांग्लादेश की राजधानी ढाका, दुनिया में सबसे घनी बसावट वाले शहरों में शामिल है। बुशरा आफरीन ढाका की चीफ हीट अफसर हैं। आफरीन के मुताबिक, बांग्लादेश के ज्यादातर लोगों को लगता है कि वे गर्मी के आदी हैं, इसीलिए वे बढ़ती तपिश को बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमें लोगों को समझाना पड़ता है कि गर्मी में जिंदा रहने के लिए आपको काम की रफ्तार घटानी होगी, आराम करना होगा, पानी पीना होगा, छाया खोजनी होगी और तबियत ठीक न लगने पर फौरन काम बंद करना होगा। गरीबी में रहने वाले लोगों के लिए यह बहुत ही मुश्किल विकल्प है।"
 
ढाका में रहने वाले ज्यादातर लोग एयर कंडीशनर न तो खरीद सकते हैं और ना ही उसका खर्च उठा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे कमजोर देशों की सूची में बांग्लादेश सातवें नंबर पर है। देश के बड़े हिस्से में गर्मियों में कई दिनों तक तापमान लगातार 40 डिग्री के पार जा रहा है।
 
आफरीन के मुताबिक आने वाले दिनों में ढाका में सार्वजनिक जगहों पर फव्वारे लगाए जाएंगे। शहर में हजारों फलदार पेड़ लगाने की योजना भी है। लेकिन इन सब कदमों से जीवन आसान हो जाएगा, ये सोचना गलत है। आफरीन के मुताबिक तपिश लगातार बढ़ती जाएगी और आज की भीषण गर्मी भी भविष्य में सुकूनभरी लगने लगेगी।
ओएसजे/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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