चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद भारतीय महिलाएं हर क्षेत्र में स्वयं को साबित कर रहीं हैं। फिर चाहे बात कला की क्यों न हो। एक नजर भारतीय महिला कलाकारों की उन रचनाओं पर, जिन्हें जर्मनी में खासा पसंद किया जा रहा है।
प्राजक्ता पोतनीस
मुंबई में पैदा हुई प्राजक्ता पोटनीस पेंटिंग, मूर्तिकला और फोटोग्राफी में जाना-माना नाम है। प्राजक्ता अपनी रचनाओं में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजों मसलन फ्रिज, फ्रीजर, वाशिंग मशीन आदि को जगह देती हैं। यहां भी उन्होंने एस्कलेटर को कैनवास पर उतारा है। कहा है कि प्राजक्ता पोटनीस की रचनाएं निराशावाद को चुनौती देती हैं।
रीना सैनी कलात
रीना सैनी कलात अपनी कला के जरिए हर सीमा को पार कर लेना चाहती हैं। यहां एक महिला की पीठ नजर आ रही है। जिसकी एक तरफ कुछ नाम गुदे हुए हैं। यहा तस्वीर कश्मीर विवाद पर तैयार की गई एक सीरीज का हिस्सा है।
भक्ति खेर
भक्ति खेर का जन्म भारत में तो नहीं हुआ लेकिन वह खुद को पूरी तरह से भारतीय मानती है। ब्रिटेन में जन्मी भक्ति 23 साल की उम्र में भारत आ गई। क्योंकि उन्हें लगता था कि उनकी कला के लिए ब्रिटेन में जगह नहीं है। भक्ति ने भारत में लोगों से मिलना-जुलना, हर कदम पर होने वाली बातचीत की खुशी महसूस की। इस तस्वीर में उन्होंने छह वेश्याओं को उभारा है।
विभा गलहोत्रा
अपनी रचनाओं के जरिए विभा गलहोत्रा बताती हैं कि कैसे इंसान पर्यावरण के साथ पेश आता है। इनकी कला जल, धरती, आग, हवा और आकाश जैसे पंच तत्वों के इर्दगिर्द घूमती है। इन पांच तत्वों को पंचभूत भी कहा जाता है। कहा जाता है कि पंचतत्व का निर्माण मानव चेतना को विकसित करने के एक माध्यम के रूप में किया गया है।
मिथू सेन
पश्चिम बंगाल से आने वाली मिथू सेन को कला की समझ शांतिनिकेतन से मिली है। मिथू के लिए अपने काम से बात करना, उसके साथ जुड़ना जरूरी होता है, ताकि वह अपनी वास्तविक इच्छा प्रकट कर सकें। इस रचना को समझने के लिए देखने वालों को काफी इधर-उधर झुकना होगा ताकि वह छिपी खोपड़ी और सिर को देख सके। हालांकि मिथू संबंध बनाने की इस प्रक्रिया को परफॉर्रमेंस कहती है।
तेजल शाह
तेजल शाह के काम पर भारत में प्रतिबंध हैं। उत्तेजना इनकी कला का मुख्य अंश होता है। आमतौर पर तेजल की रचनाओं में जेंडर भूमिका की बात होती है। यह फोटो, सेक्स से जुड़े वीडियो से ली गई है।