अमेरिकी शहर ऑरलैंडो में अमेरिकन सोसाइटी फॉर बायोकेमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की वार्षिक मीटिंग में यह शोध पेश किया गया। नतीजों के मुताबिक बीगल प्रजाति के चार कुत्तों के सामने इंसान के खून के कई नमूने रखे गए। चारों कुत्तों की उम्र दो साल थी। एक ने नमूनों को सूंघने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन बाकी तीन ने सभी सैंपलों को सूंघा और भौंक कर बता दिया कि किस सैंपल में लंग कैंसर के सबूत हैं। 96.7 फीसदी मामलों में नतीजा बिल्कुल सटीक निकला।
इंसान की तुलना में कुत्ते की नाक 10,000 गुना ज्यादा तेज होती है। यह बात हर कोई जानता है कि कुत्ते ड्रग्स और विस्फोटकों को सूंघ कर पता कर लेते हैं. लेकिन 96.7 फीसदी सटीकता से कैंसर का पता लगाना, यह जानकारी पहली बार सामने आई है।
जनक्वेरा कहती हैं, "यह काम उत्साहित करने वाला है क्योंकि यह रिसर्च के दो अहम रास्ते खोलता है। दोनों के जरिए कैंसर का जल्द पता लगाने वाले टूल्स बनाए जा सकते हैं। एक में कैंसर की पहचान के लिए कैनिन की गंध पकड़ी जाती है। दूसरे में खून के बायोलॉजिक कंपाउंड्स में आए बदलाव को कुत्ते पकड़ लेते हैं। इन कंपाउंड्स का इस्तेमाल कैंसर का पता लगाने वाले टेस्टों में किया जा सकता है।"