सिफिलिस बीमारी पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। साल 2016 में यह नवजातों की मृत्यु की सबसे बड़ी वजह बन कर सामने आई थी। इस पर नियंत्रण के लिए यौन संबंध के दौरान सुरक्षा जरूरी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया है कि यूरोप में सिफिलिस बीमारी के मामले पिछले एक दशक में काफी ज्यादा बढ़े हैं। 2000 के दशक के बाद से पहली बार एचआईवी के नए मामलों की तुलना में कुछ देशों यह बामारी तेजी से फैली है। यूरोप के रोग निवारण और नियंत्रण केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, समलैंगिक पुरुषों के बीच असुरक्षित यौन संबंधों और अपने साथी के साथ बिना सुरक्षा के यौन संबंध बनाने की वजह से 2010 के बाद से इस यौन संचारित रोग के मामलों में 70 फीदसी तक की वृद्धि हुई है।
यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल, ईसीडीसी में यौन संचारित संक्रमणों के विशेषज्ञ एंड्रयू अमातो-गोची बताते हैं, "पूरे यूरोप में सिफिलिस संक्रमण में वृद्धि के कई कारक हैं। इनमें बिना कंडोम के यौन संबंध बनाना, कई लोगों के साथ यौन संबंध बनाना और लोगों में एचआईवी संक्रमण का डर समाप्त होना शामिल हैं।" यह यूरोपीय रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन के पिछले महीने के उस बयान के बाद आई है जिसमें उसने कहा था कि दुनिया भर में हर दिन लगभग एक लाख लोग यौन संचारित संक्रमण की चपेट में आते हैं।
सिफिलिस से पुरुषों और महिलाओं में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। स्टिलबर्थ और नवजात की मौत भी हो सकती है। इससे एचआईवी का भी खतरा बढ़ जाता है। वर्ष 2016 में सिफिलिस पूरी दुनिया में नवजातों की मौत का सबसे बड़ा कारण बना था।
यूरोप में स्वास्थ्य और बीमारी की निगरानी करने वाले स्टॉकहोम स्थित ईसीडीसी ने बताया, "2007 से लेकर 2017 तक 30 देशों में सिफिलिस के 2,60,000 मामले सामने आए। 2017 में सबसे ज्यादा 33,000 मामले सामने आए। इसका मतलब यह है कि वर्ष 2000 के बाद एचआईवी से ज्यादा सिफिलिस से लोग प्रभावित हुए।"
ब्रिटेन, जर्मनी, आयरलैंड, आइसलैंड और माल्टा जैसे पांच देशों में समस्या दोगुनी बढ़ी जबकि एस्टोनिया और रोमानिया में 50 फीसदी या उससे अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। ईसीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2007 और 2017 के बीच दर्ज किए गए दो-तिहाई मामलों में यौन संबंध दो पुरुषों के बीच बनाए गए थे। वहीं 23 प्रतिशत मामले महिलाओं के साथ संबंध बनाने वाले पुरुषों और 15 प्रतिशत महिलाओं में सामने आए।
पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले मामलों का अनुपात लात्विया, लिथुआनिया और रोमानिया में 20 प्रतिशत से कम और फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, नीदरलैंड, स्वीडन और ब्रिटेन में 80 प्रतिशत से अधिक है। अमातो गोची का कहना है कि वे समलैंगिक पुरुष जिनके बीच एचआईवी संक्रमण का डर नहीं रहता है, इस समस्या का मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा, "इस प्रचलन को बदलने के लिए लोगों को यौन संबंध बनाने के दौरान कंडोम का उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करना होगा।"