Science: कांपने वाले इन रोबोटों को पसीना भी आता है

DW

गुरुवार, 27 जुलाई 2023 (10:00 IST)
-(एएफपी) एचवी/एनआर
 
Robot: जब हमें लू लगती है तो हमारे शरीर को क्या होता है? निरंतर गर्म होती पृथ्वी पर हम अपनी सुरक्षा कैसे कर सकते हैं? इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने के लिए एक ऐसा रोबोट बना है जिसे पसीना भी आता है और जो सांस भी ले सकता है। अब तक इस प्रकार के लगभग केवल एक दर्जन रोबोट ही मौजूद थे और उनमें से कोई भी बाहर नहीं जा सकता था।
 
एरिजोना की राजधानी फीनिक्स फिलहाल अपने इतिहास की सबसे लंबी गर्मी की मार झेल रही है। शुक्रवार को पारा लगातार 22वें दिन 43 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। इतनी ज्यादा गर्मी मनुष्यों के लिए घातक खतरा साबित हो सकती है। इस खतरे को समझने के लिए एक खास रोबोट को ड्यूटी पर तैनात किया गया है। इंसान की तरह ही यह रोबोट गर्मी में पसीना बहाता है, इसे कंपकंपी छूटती है और यह सांस भी लेता है। इसे नाम दिया गया है एएनडीआई, यानी एडवांस्ड न्यूटन डायनेमिक इंस्ट्रूमेंट।
 
एएनडीआई को एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में काम पर लगाया गया है। यह रोबोट अपनी तरह का पहला ह्यूमनॉइड रोबोट है। यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कोनराड रेकाजेव्स्की ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि यह दुनिया का पहला आउटडोर थर्मल पुतला है जिसे हम नियमित रूप से बाहर ले जा सकते हैं और माप सकते हैं कि उसे पर्यावरण से कितनी गर्मी मिल रही है। उन्होंने कहा कि एएनडीआई एक अच्छा तरीका है यह मापने का कि मनुष्य चरम जलवायु पर कैसे प्रतिक्रिया करता है और वो भी बिना लोगों को जोखिम में डाले।
 
रोबोट को पसीना कैसे आता है?
 
पहली नजर में यह एक साधारण क्रैश-टेस्ट डमी जैसा दिखता है। इसकी इपॉक्सी/कार्बन फाइबर की त्वचा में तकनीक का खजाना छिपा है। उदाहरण के लिए आपस में जुड़े हुए सेंसरों का एक नेटवर्क, जो शरीर में फैली गर्मी का आकलन करते हैं। साथ ही एएनडीआई में एक शरीर को ठंडा करने का एक अंदरुनी तंत्र है। इसके साथ ही त्वचा पर बारीक छिद्र भी हैं, जो इसे सांस लेने और पसीना बहाने में मदद करते हैं।
 
यह रोबोट मनुष्यों की तरह ही अपनी पीठ से ज्यादा पसीना बहाता है। इसमें 35 स्वतंत्र थर्मल जोन हैं और इसको बनाने में 5 लाख डॉलर से अधिक की लागत आई है। अब तक इस प्रकार के लगभग केवल एक दर्जन रोबोट ही मौजूद थे और उनमें से कोई भी बाहर नहीं जा सकता था। इनका उपयोग मुख्य रूप से खेल का सामान बनाने वाली कंपनियों में होता था। ये कंपनियां इनके जरिए कपड़ों की तकनीक का परीक्षण करती थीं।
 
शरीर पर गर्मी का असर
 
रिसर्चरों को उम्मीद है कि रोबोट हाइपरथर्मिया को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा। हाइपरथर्मिया शरीर की वह स्थिती है जिसमें शरीर अत्यधिक गर्म हो जाता है। यह स्थिति ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ज्यादा सामने आ रही है। इसकी वजह से दुनिया के कई इलाकों में इंसानों पर खतरा मंडरा रहा है। रेकाजेव्स्की का कहना है कि मानव शरीर पर गर्मी के प्रभाव को अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। एएनडीआई रिसर्चरों को इसे समझने में मदद देगा।
 
एएनडीआई और मार्टी (मीन रेडिएंट टेम्परेचर) फीनिक्स में पहली बार लैब के बाहर निकल रहे हैं। मार्टी एक मोबाइल मौसम स्टेशन जो आसपास की इमारतों से परावर्तित गर्मी को मापता है। यह एक आदर्श प्रयोगशाला की तरह काम करेंगे है जिससे भविष्य के जलवायु के लिए तैयारी की जा सकती है।
 
रेकाजेव्स्की कहते हैं कि हम जो पहनते हैं, उसे कैसे बदलें? हम अपने व्यवहार के पैटर्न को कैसे बदलें और उन्हें इस परिमाण के तापमान के अनुसार कैसे समायोजित करें? एएनडीआई को अगिनत बार प्रोग्राम किया जा सकता है। परियोजना में शामिल जलवायु विज्ञानी जेनिफर वानोस बताती हैं कि रिसर्च टीम आबादी के विभिन्न वर्गों को देखने के लिए रोबोट के डिजिटल जुड़वां बना सकती है।(प्रतीकात्मक चित्र)

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