यूपी में फ्रेश बीयर की कमाई से गोवंश का ख्याल रखने की योजना
गुरुवार, 13 जून 2019 (12:05 IST)
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में फ्रेश बीयर उपलब्ध कराने के लिए होटलों, पबों और रिजॉर्टों को अपनी खुद की माइक्रो ब्रूअरी स्थापित करने का रास्ता खोल दिया है। इसने अधिक कमाई के अलावा नई नौकरियां पैदा करने की भी योजना है।
आमतौर पर शराब जितनी पुरानी होती जाती है उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाती है। लेकिन ये बात बीयर पर लागू नहीं होती है। बीयर ताजी ही अच्छी मानी जाती है। भारत में शराब का उत्पादन डिस्टिलरी में होता है जबकि बीयर का उत्पादन ब्रुअरी में। वहां से बीयर बिकने के लिए रिटेलर तक पहुंचती है जिसमें काफी समय लगता है और बियर फ्रेश नहीं रह जाती है।
जानकारों का मानना है कि बीयर समय बीतने, गर्मी, ऑक्सीजन और प्रकाश के संपर्क में रहने से ताजगी खो देती है और उसकी खुशबू पर भी असर पड़ता है। इसीलिए फ्रेश बीयर की मांग ज्यादा रहती है। इसको ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया है कि कोई भी व्यक्ति जो होटल, रिजॉर्ट, रेस्त्रां या कमर्शियल क्लब का लाइसेंस धारक हो, वो अपनी माइक्रो ब्रुअरी लगा सकता है। ऐसा करने से वो अपने प्रतिष्ठान में ही ताजी बीयर बना सकेगा और तुरंत ग्राहकों को दे सकेगा। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि प्रदेश में नोएडा, आगरा, वाराणसी, लखनऊ और दूसरे शहरों में विदेशी और देशी पर्यटकों का आवागमन बढ़ा है और ऐसे में ये सुविधा देना जरूरी हो चुका है।
अतिरिक्त आय और गोवंश की देखभाल
सरकार के इस फैसले से निसंदेह बीयर की बिक्री बढ़ेगी और ऐसा हुआ तो राजस्व ज्यादा आएगा। सरकार पहले से ही इस रेवेन्यू पर 0।5 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगा चुकी है। इस आय को गोवंश कल्याण पर खर्च किया जाएगा। इस प्रकार अतिरिक्त आय की भी व्यवस्था कर ली गयी है। कैबिनेट मीटिंग के बाद इस बारे में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि इससे लगभग 17,000 करोड़ रुपये की बिक्री अनुमानित है।
फिलहाल प्रदेश सरकार ने गोवंश की देखभाल के लिए 130 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इस राशि से गोवंश आश्रय स्थल और गो-संरक्षण केंद्र बनाए जाना प्रस्तावित है। इसमें 40 करोड़ रुपये छुट्टा गोवंश के आश्रयस्थल बनाने और उनको चलाने के लिए हैं। इसके अलावा जरुरत पड़ने पर 40 करोड़ और खर्च करने का प्रावधान है। ये आश्रय स्थल सीधे संबंधित जिलाधिकारी की देख-रेख में होंगे। यहां प्रत्येक गोवंश के लिए 30 रुपये उसके चारे पर खर्च किये जाएंगे। बुंदेलखंड के सात जिलों में जहां छुट्टा जानवरों की समस्या ज्यादा है, वहां हर जिले में एक एक गोवंश वन्य विहार बनाने के लिए आदेश हुआ है। एक की लागत 1.20 करोड़ होगी यानी सात के लिए कुल 8.40 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
कैसे होगी माइक्रो ब्रुअरी स्थापित
जिस व्यक्ति के पास पहले से ही बीयर बेचने का लाइसेंस होगा वो अपने जिले के जिला मजिस्ट्रेट के जरिये आबकारी आयुक्त को आवेदन देगा। इसमें लाइसेंस फीस 25,000 से बढ़ा कर ढाई लाख रुपये कर दी गयी है। ये बढ़ोत्तरी 1974 के बाद सीधे अब की गयी है। हर साल की लाइसेंस फीस दो लाख रुपये होगी और एक लाख रुपये की सिक्यूरिटी डिपाजिट भी देनी होगी। छह महीने का एक्सटेंशन लेने के लिए 25,000 रुपये देने होंगे। ये सुविधा हर साल 1 अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक लागू होगी।
इसमें एक शर्त लगा दी गयी है। इस प्रकार की खुली बीयर बेचने की एक सीमा तय कर दी गयी है। होटल या रेस्त्रां प्रतिदिन 600 बल्क लीटर बीयर ही बेच सकते हैं यानि सालाना 2.10 बल्क लाख लीटर बीयर की सीमा है। साल में 350 कार्य दिवस के आधार पर यह सीमा तय की गई है। नियमों के उल्लंघन पर बिना किसी नुकसान की भरपाई के लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार को ऐसी व्यवस्था बनाने में माइक्रो ब्रुअरी की स्थापना से सम्बंधित मौजूदा नियमावली में बदलाव करना पड़ा। उत्तर प्रदेश यवासवनी (माइक्रो ब्रुअरी) नियमावली, 1961 में माइक्रो ब्रुअरी से संबंधित नए नियम सम्मिलित करते हुए उत्तर प्रदेश यवासवनी (छठवां संशोधन) नियमावली, 2019 प्रख्यापित किए जाने का निर्णय लिया गया है।
सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया है कि प्रदेश में माइक्रो ब्रुअरी स्थापित होने से जहां एक ओर अच्छी गुणवत्ता की फ्रेश बीयर उपभोक्ताओं को रेस्त्रां में उपलब्ध होगी, वहीं दूसरी ओर रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे और प्रदेश के राजस्व में भी सम्यक रूप से वृद्धि होगी। भारत के अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, हरियाणा, दिल्ली, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश के बड़े-बड़े शहरों में स्थित होटल, रेस्त्रां में पहले ही माइक्रो ब्रुअरी स्थापित किए जा चुके हैं।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग के अनुसार 64 ब्रुअरीज के अलग अलग बीयर ब्रांड बिक्री के लिए उपलब्ध हैं जिनका अधिकतम फुटकर मूल्य 80 रुपए से लेकर 210 रुपये तक है। ये सभी बोतल या कैन में उपलब्ध होती हैं। प्रदेश के 44 जनपदों में 451 पब/बार संचालित हैं। ये संख्या फिलहाल कुछ घट बढ़ सकती हैं। प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2018-19 में करीब चौबीस हजार करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई। जो पिछले साल की तुलना में 38 फीसदी अधिक है।