कनाडा में भारतीय छात्रों को सता रहा सपनों के टूटने का डर

DW

गुरुवार, 29 अगस्त 2024 (08:14 IST)
चारु कार्तिकेय
कनाडा में तीन लाख से भी ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ते हैं। यहां आप्रवासन नीति में हुए एक बदलाव का असर हजारों छात्रों पर पड़ेगा। हताश होकर हजारों भारतीय छात्र कनाडा में इस बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कनाडा के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं और इनमें हजारों छात्र शामिल हैं। भारतीय छात्र मुख्य रूप से प्रिंस एडवर्ड आइलैंड, ओंटारियो, मनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतों में प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में तो छात्रों ने स्थानीय विधायिका भवन के बाहर ही शिविर लगा लिया है। छात्र चिंतित हैं कि कनाडा की आप्रवासन नीति में किए गए हालिया बदलावों के कारण उनसे आगे बढ़ने के मौके छिन जाएंगे और उन्हें कनाडा छोड़कर जाना होगा।
 
क्यों हो रहा है विरोध
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 26 अगस्त को एलान किया कि उनकी सरकार कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम करने जा रही है। अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम गैर-कनाडाई लोगों को 'शॉर्ट टर्म' आधार पर काम करने के लिए कनाडा आने का अवसर देता है।
 
प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि उनका मंत्रिमंडल अस्थायी प्रवासियों की संख्या में कटौती पर भी विचार कर रहा है। नए फैसलों का उद्देश्य है कनाडा में परमानेंट रेसीडेंसी (पीआर) के लिए नामांकन को 25 प्रतिशत कम करना और साथ ही शिक्षा के लिए दिए जाने वाले परमिटों को भी घटाना।
 
मिसाल के तौर पर एक फैसला लिया गया है कि ऐसे इलाकों में काम करने के परमिट नहीं दिए जाएंगे, जहां बेरोजगारी दर छह प्रतिशत या उससे ज्यादा है। इससे पहले ट्रूडो सरकार ने जनवरी में फैसला लिया था कि सितंबर 2024 से, पिछले साल के मुकाबले नए अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिटों में 35 प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
 
फिर मई में सरकार ने यह भी कहा कि सितंबर के बाद से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को विश्वविद्यालय के कैंपस के बाहर हर हफ्ते अधिकतम सिर्फ 24 घंटों तक काम करने की इजाजत दी जाएगी। आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने कहा है कि अगले तीन सालों में देश की आबादी में अस्थायी निवासियों के अनुपात को भी 6।2 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत तक लाया जाएगा।
 
भविष्य को लेकर चिंता
आप्रवासन नीति की इस दिशा से छात्र चिंतित हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। सिटीन्यूज टोरंटो समाचार वेबसाइट के मुताबिक 70,000 से भी ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्रों को इन नियमों की वजह से अपने देश वापस लौटना पड़ सकता है।
 
छात्रों के एक समूह 'नौजवान सपोर्ट नेटवर्क' ने वेबसाइट को बताया कि छात्रों को चिंता है कि उनके काम के परमिट जब इस साल के अंत में समाप्त हो जाएंगे, तो उसके बाद उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाएगा।
 
हजारों छात्रों का कहना है कि उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद पीआर के लिए आवेदन करने की योजना बनाई थी, जो अब पूरी नहीं हो पाएगी। छात्रों ने पढ़ाई के लिए बड़े लोन लिए थे, लेकिन काम और पीआर ना मिल पाने की वजह से कर्ज का भुगतान मुश्किल हो जाएगा। देखना होगा कि आने वाले दिनों में इन छात्रों को कनाडा सरकार की तरफ से कुछ राहत मिलती है या नहीं।

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