एक मुलाकात खली महाबली के साथ

- श्याम यादव
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आम भारतीय की तरह मैं भी जब चाहे, जहाँ चाहे और जैसे चाहे अपनी गंजी खोपड़ी और बढ़े हुए पेट पर हाथ फेरते हुए अपने संबंधों के ताने-बाने को बुनता हुआ इसी उधेड़बुन में था कि किसी न किसी बहाने दुनिया में खलबली मचाने वाले द ग्रेट खली के इंटरव्यू की जुगाड़ हो जाए और इसे क्या कहा जाए कि मेरा यह सपना सपने में ही साकार हो गया और खली महाबली का साक्षात्कार मेरे साथ अनायास ही हो गया। प्रस्तुत है खली के साथ की गई बातचीत के प्रमुख अंश-

प्र.- भारत आकर आपको कैसा लग रहा है?
खली- अजी लगना क्या है, मैं अपने वतन आया हूँ। जब गया था, तब कोई ने नहीं पूछा। अब सब पूछ रहे हैं। अच्छा लग रिया है।

प्र.- आप हिन्दुस्तान से कैसे विदेश पहुँच गए, मेरा मतलब रेसलिंग की दुनिया में आप कैसे आए?
खली- ओय पापे, इनी भी बड़ी मजेदार सटोरी है। तू सुन कोई दे कहणा मत। मैं तो अपने इलाज बास्ते छुट्टी लेकर अमरीका गया था। मैं कोई कुश्ती-मुश्ती दे बास्ते नहीं गया था। मेरे डिपार्टमेंट से भी पूछ लो।

प्र.- फिर कुश्ती में कैसे आ गए?
खली- यार सुन तो सही, बीच में बोल मत। मेनु बताणे तो दे। हुआ की था कि मैं गया था इलाज बास्ते और मैं उत्थे हास्पीटल में दाखिल भी हुआ था। इलाज बीच डॉक्टर ने मेरा गलत ट्रीटमेंट कर दिया और उस गलत इलाज के कारण मेरे शरीर में फौलाद सी ताकत महसूस होनेलगी। मेनु लगता कि मेरा शरीर मेरा नहीं रह गया। सन्नी पाजी की तरह ढाई किलो का हाथ लगने लगा था।

प्र.- फिर। मैं अपनी जिज्ञासा नहीं रोक पाया।
खली- ठंड रख यार। मैं तेरे को ही ये बात बता रहा हूँ। मैं डॉक्टर पर गुस्सा होण लगा। डॉक्टर भी अपना हिन्दुस्तान का ही बंदा था। एक तो मेरा लंबा-चौड़ा शरीर और उस पर मेरा गुस्सा उसकी तो हालत खराब हो रही थी। वह डरते-डरते बोला राणा भाई (उस समय तक मेरा खली नाम नहीं था मेरा नाम खली भी उसी डॉक्टर की देन है) देखो जो हो गया वो तो ठीक है, मेरे इलाज से आप की कद-काठी तो बढ़ ही गई है। आप का वजन भी ठीक-ठाक ही है।

आप यहाँ होने वाली कुश्ती में भाग ले लो। पैसा भी बहुत मिलता है। मैं बोला यार, मैनु कुश्ती-वुश्ती नहीं आती और यहाँ कि भाषा भी मेरे पल्ले नहीं पड़ती, और डॉक्टर, कहीं कुछ लग-लुगा गई तो तुम पहले ही गलत इलाज कर रहे हो। उस डॉक्टर ने समझाया कौनसी असली लड़ाइयाँ लड़नी है। ये सब लड़ाई तो नकली होती है और उसी ने मेरा नाम खली रखा और रेसलिंग की दुनिया में भेज दिया।

प्र.- आपकी पहली फाइट के बारे में कुछ बताइए? क्या अनुभव रहे आप जीते कि हारे?
खली- देख यार, तुम लोगों में यही तो खराबी होती है। गड़े मुर्दे उखाड़ने की। मैं कोई पहलवान तो नहीं। मैंने थोड़ा-बहुत सीखा था और पहली बार ही जो मैंने पंजाबी हाथ सामने वाले पर मारा, वह भारी पड़ गया और तभी से ये खली महाबली बन गया।

प्र.- आप आज अंडरटेकर जैसे नामी रेसलर से...?
खली- अरे यार ये सब नकली खेल होते हैं। मैं तो इस नकली लड़ाई से ही खुश हूँ कि आज मैं मेरे हिन्दुस्तान का नाम रोशन कर रहा हूँ।

प्र.- सुना है आप विदेश में बसने वाले हो यहाँ कुछ कानूनी कार्रवाई करने वास्ते आएँ हो?
खली- सुना है तो सच ही होगा। मैंने अभी कुछ सोचा नहीं है। अब आप कह रहे हैं तो सोचना पड़ेगा।

प्र.- बॉलीवुड के ऑफर के बारे में?
खली- मैं तो एक्टर हूँ जो भी रोल मिलेगा कर लूँगा चाहे रावण का हो या दुर्योधन का। सीता का अपहरण करना हो या द्रोपदी का चीरहरण। क्या फरक पैंदा है।

मैं खली महाबली से और सवाल पूछ पाता तभी मेरे कानों में मेरी श्रीमती का स्वर सुनाई पड़ा- मैं कराऊँ चीरहरण। हकीकत में तो तुम्हारी करतूत थी ही। अब सपने में भी ऐसी हरकतें करते तुम्हें शरम नहीं आती। मैं अब नहीं रहूँगी तुम्हारे साथ। मैं तो चली मायके। तुम करो खूब चीरहरण।

मैं उसे कुछ समझाऊँ इसके पहले ही वो तो महाबली की तरह मुझे पछाड़कर सचमुच में जा चुकी थी।