वेलेंटाइन-डे का जुनून

- गिरीश पंड्या
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विज्ञान कहता है कि हमारा दिल एक मिनट में बहत्तर बार धड़कता है। निश्चित रूप से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष फरवरी माह में नहीं निकाला होगा, अन्यथा धड़कन का यह फिगर कुछ ज्यादा ही होता। कारण साफ है कि इस माह में दिलों का पर्व वेलेंटाइन-डे जो आता है। जहाँ इसके उत्साह में दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, वहीं आँखों को चार और दिलों को एक करने जैसी अवैज्ञानिक लीलाएँ भी इस माह में सहज रूप से संपन्ना होने लगती हैं। इस बार भी प्यार के मौसम में हर कोई मस्त और व्यस्त नजर आ रहा है।

शेड्यूल अभी से तय किए जा रहे हैं, ताकि ऐन मौके पर कोई विघ्न न आ जाए। कई युवा प्रेमी अपने पैरेंट्स से फरवरी की पॉकेट मनी के बजट में बड़ी राशि पारित करवाने की जुगत में भिड़े हैं। ऐसे प्रेमी जो पहली बार ही प्रेम करने का षड्यंत्र रचने जा रहे हैं, वेआईने के सामने खड़े होकर अपने डायलॉग बोलने का सतत अभ्यास कर रहे हैं। इन डायलॉग को सुन आसमान के तारे चिंतित और भयभीत नजर आ रहे हैं, क्योंकि जिसे देखो वह अपनी महबूबा के लिए आसमान से तारे तोड़ लाने की बात कर रहा है। वह तो भला हो चाँद का, जो तारों को दिलासा देते हुए कहता है कि- 'घबराने की कोई बात नहीं! यह डायलॉग तो प्रेमीजन तब से बोल रहे हैं, जब से उसे लिखा गया है। मुझे ही देखो, मैं भी अपनी चाँदनी को कई बार कहता हूँ कि तुम्हारे कहने भर से सारे तारों को तोड़कर जमीन पर फेंक दूँगा, ताकि हम-तुम आसमान में अकेले रहे, किंतु न तो आज तक मेरी चाँदनी ने ऐसा कहा और न ही मैंने तुम्हें तोड़ा।' तारों को समझ में आ चुका था कि भले ही अपने को तोड़ने के लिए कोई नहीं आएगा, किंतु इतना तय है कि प्यार चाहे जमीन पर हो या आसमान में, इज्जत तो अपनी ही जाना है।

उधर पृथ्वी के वृक्षों की पीड़ा भी कुछ कम नहीं है। वे तो अपने तने पर बुलेटप्रूफ लगवाने की माँग भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रेमी-प्रेमिका मेरी आड़ में छिपकर प्रेम मीटिंग करते हैं। अपने प्यार को इतिहास के पन्नों पर लिखने की कसम खाते हैं और मीटिंग समाप्त होते ही अपना नाम मेरे तने पर गोदकर चले जाते हैं। कुछ प्रेमियों ने तो बाकायदा बड़ी साइज का दिल गोदकर अभी से वृक्षों पर अपना रिजर्वेशन भी करवा लिया है, ताकि वेलेंटाइन-डे के दिन इसमें नाम लिखना ही बाकी रहे।

वेलेंटाइन-डे के इस मौसम में छोटे बच्चों द्वारा पार्क में क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगाना बेहद आवश्यक है। पता नहीं क्रिकेट का कौन-सा शॉट छिपकर बैठे किसी प्रेमी युगल के सिर पर कोई निशान छोड़ दे? उनका प्रेम अमर हो न हो, किंतु यह निशान अमर हो सकता है। वेलेंटाइन-डे के प्रभाव से निर्जीव वस्तुएँ भी अछूती नहीं हैं। मेरे मित्र मिस्टर प्रेमलाल का ही उदाहरण लीजिए। पिछले वेलेंटाइन-डे पर उन्होंने अपनी प्रेमिका के साथ घूमने का वादा किया और उनका स्कूटर था कि स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रहा था। जैसे ही उन्होंने प्रेमिका को अपनी स्कूटी लाने को कहा वह झट से स्टार्ट हो गया। आप भी इस बार के वेलेंटाइन-डे पर एक ही स्कूटर पर प्रेमयात्रा करने की रिस्क कभी न लें। साथ में यदि स्कूटी भी हो तो आपका वेलेंटाइन-डे सफल और सार्थक हो जाएगा।