भोपाल। लोकसभा चुनाव अब अंतिम पड़ाव की ओर हैं। सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव में आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होगा, जिसमें मध्यप्रदेश की आठ सीटों समेत देशभर की सीटों पर मतदान होगा। इस बार का लोकसभा चुनाव किन मायनों में अलग रहा, ऐसे कौनसे मुद्दे रहे जो चुनाव में छाए रहे, चुनाव में मोदी और राहुल में से कौन किस पर भारी पड़ा, चुनाव में कौनसा फैक्टर हावी रहा है, इसको लेकर वेबदुनिया अपने पाठकों के लिए वरिष्ठ पत्रकार और चुनाव विश्लेषकों से खास बातचीत की सीरीज लेकर आया है।
लोकसभा चुनाव 2019 पर आपका नजरिया : 2019 का लोकसभा चुनाव किन मायनों में अन्य चुनावों से अलग रहा, इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार और चुनावी विश्लेषक गिरिजा शंकर कहते हैं कि 2014 और 2019 के चुनाव में बहुत अंतर रहा। 2014 में जब मोदी के नेतृत्व में भाजपा चुनावी मैदान में थी तो देश में यूपीए की सरकार थी जिसका फायदा चुनाव में मोदी लहर के रूप में देखने को मिला और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भाजपा 27 सीटें जीत गई, वहीं इस बार का चुनाव मोदी के सत्ता में पांच साल रहने के बाद का चुनाव है। गिरिजाशंकर कहते हैं कि सत्ता में रहने के चलते आज मोदी एक हाउस होल्ड नेम बन गए और गांव-गांव में लोग उनको जानने लगे हैं, जिसका फायदा भाजपा को चुनाव में होगा।
किन मुद्दों पर होगा हार-जीत का फैसला : 2019 के लोकसभा चुनाव में कौनसे मुद्दे पर लोगों ने वोट किया, इस सवाल पर गिरिजाशंकर कहते हैं कि उनके नजरिए से पूरा चुनाव नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर हुआ। चुनाव का पूरा एजेंडा नरेंद्र मोदी ही रहे और खुद नरेंद्र मोदी और भाजपा ने उसको बखूबी भुनाया भी। इसको भाजपा के इलेक्शन कैंपेन के मुख्य थीम से भी समझा जा सकता जिसमें 'फिर एक बार मोदी सरकार' की बात की गई, न कि भाजपा सरकार की।
मध्यप्रदेश में सत्ता में रहने का कांग्रेस को मिलेगा फायदा : 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में आने का फायदा क्या कांग्रेस को मिलेगा। इस सवाल पर गिरिजाशंकर कहते हैं कि सामान्य तौर पर सत्ता में रहने वाली पार्टी को फायदा मिलता है, लेकिन इस बार देखना होगा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस, नरेंद्र मोदी फैक्टर को काउंटर करने में कितनी सफल हो पाती है।
वहीं, आखिरी चरण के चुनाव में भाजपा की तरफ से कर्जमाफी के मुद्दे को उठाने को गिरिजाशंकर भाजपा की अच्छी रणनीति मानते हैं, क्योंकि मालवा-निमाड़ में किसान वोटरों की संख्या बड़ी मात्रा में है।