3. एग्जिट पोल के लिए तमाम एजेंसीज वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता से उनकी राय जानती हैं और उन्हीं रायों के आधार एग्जिट पोल के नतीजे तैयार किए जाते हैं। सर्वे से एग्जिट पोल की घोषणा की जाती है और अनुमान लगाया जाता है कि चुनाव परिणाम में कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा वोट बटोर सकती है और चुनाव परिणाम के बाद अपनी पार्टी बना सकती है।
4. भारत में जहां चुनाव विकास से लेकर जाति-धर्म जैसे तमाम मुद्दों पर लड़ा जाता है, ऐसे में मतदाता ने किसको वोट दिया है, यह पता करना भी आसान नहीं है। अक्सर मतदाता इस सवाल का सही जवाब नहीं देते कि उन्होंने किसे वोट दिया? इस कारण से एग्जिट पोल्स चुनावी नतीजों से उलट भी आते हैं।
5. बीते एग्जिट पोल के नतीजों को देखें तो 2015 में तमिलनाडु के चुनाव और 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव के समय यह गलत साबित हुआ था। वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो तब भी एग्जिट पोल के अनुमानित नतीजे बिलकुल ही गलत साबित हुए थे। 2004 में एग्जिट पोल के नतीजों को धता देते हुए कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए ने केंद्र में सरकार बनाई थी। 2014 में एग्जिट पोल ने साफ कर दिया था कि मोदी लहर में भाजपा सरकार बनाने जा रही है।