उत्तरप्रदेश में भाजपा ने 80 में से 71 सीटें जीत ली जबकि गुजरात में वह सभी 26 सीटें जीतने में सफल रही। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में भी कांग्रेस एक-दो सीटों के लिए भी तरस गई। इस चुनाव में भाजपा के आक्रामक प्रचार के साथ ही मोदी के दो स्थानों से चुनाव लड़ने के फैसले ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी।
मोदी ने बाद में वड़ोदरा से इस्तीफा दे दिया और वाराणसी से सांसद बने रहे। उन्होंने यहां विकास की गंगा बहाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बहरहाल भाजपा ने बाद में यहां से सपा को सत्ता से बेदखल कर योगी आदित्यनाथ को हाथों में राज्य की कमान सौंप दी। दूसरी ओर वड़ोदरा सीट छोड़ने के बाद भाजपा को अपने ही गढ़ माने जाने वाले गुजरात में जीत के लिए संघर्ष करना पड़ा।
अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या मोदी इस चुनाव में भी दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे? एक ओर यह दावा किया जा रहा है कि मोदी फिर वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे। वह इस सीट पर चुनाव लड़कर महागठबंधन का बेहतर ढंग से मुकाबला कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी दावा किया जा रहा है कि वह ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक प्रदीप पुरोहित ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री की पुरी सीट से चुनाव लड़ने की 90 प्रतिशत संभावना है। इससे मोदी बंगाल में ममता बनर्जी का सामना कर सकते हैं।
बहरहाल एक संभावना यह भी है कि इन दोनों ही सीटों से चुनाव लड़ लें। इससे भाजपा को ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश जैसे नेताओं का असर कम करने में मदद मिलेगी साथ ही पार्टी ज्यादा मजबूती से चुनाव भी लड़ सकेगी।