प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि 2005-06 में ब्रिटेन की एक कंपनी के वार्षिक डाटा के साथ संलग्न फार्म में राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का कथित रूप से उल्लेख किया गया था।
पीठ ने कहा, 'यदि कोई कंपनी किसी फार्म में उनकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश लिख दे तो इससे वह ब्रिटिश नागरिक नहीं बन जाते।' याचिका में कहा गया था कि भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी द्वारा पत्र लिखे जाने के बावजूद राहुल गांधी द्वारा स्वेच्छा से ब्रिटिश नागरिकता लेने के फैसले पर केन्द्र और निर्वाचन आयोग की ‘निष्क्रियता’ से याचिकाकर्ता अंसतुष्ट हैं।
याचिकाकर्ताओं जय भगवान गोयल और सी पी त्यागी ने आरोप लगाया था कि चूंकि गृह मंत्रालय और निर्वाचन आयोग के समक्ष इस संबंध में प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य पेश किए गए हैं, गांधी को संसदीय क्षेत्रों -अमेठी और वायनाड- से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
गृह मंत्रालय ने कहा था कि स्वामी के पत्र में इस बात का उल्लेख है कि ब्रिटिश कंपनी द्वारा 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 के वार्षिक रिटर्न में राहुल की जन्म तिथि 19 जून, 1970 लिखी है और उनकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश घोषित की गई है। (भाषा)