दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड का ब्यौरा है। चुनाव आयोग की वेबसाइट में अपलोड की गई सारी जानकारी 3 मूल्यवर्ग के बॉन्ड की खरीद से जुड़ा हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड 1 लाख रुपए, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपए के खरीदे गए हैं।
कौन हैं खरीदारों में : चुनाव निकाय द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉण्ड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा शामिल हैं।
आंकड़ों के मुताबिक चुनावी बॉण्ड भुनाने वाली पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, राजद, आप और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में अनाम राजनीतिक फंडिग की इजाजत देने वाली केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था। पीठ ने इसे “असंवैधानिक” कहा था और निर्वाचन आयोग को दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था।
क्या है बॉन्ड स्कीम : इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 के बजट में पेश की थी। इसके बाद 2 जनवरी 2018 को केंद्र ने इसे नोटिफाई किया। इलेक्टोरल बॉन्ड एक प्रकार का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहा जाता हैं, जिसे एसबीआई से कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है। सरकार ने दावा किया था कि इस योजना के लागू होने से चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और काले धन पर भी अंकुश लगेगा। एजेंसियां