नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के पहले 5 चरणों में डाले गए मतों की संख्या पर लोकसभा क्षेत्रवार आंकड़ा शनिवार को जारी किया और कहा कि चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने की शरारतपूर्ण मंशा के तहत एक झूठा विमर्श गढ़ा जा रहा है। उसने यह भी कहा कि डाले गए वोटों की संख्या में कोई भी छेड़छाड़ संभव नहीं है।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की वे याचिका खारिज कर दी थी जिसमें निर्वाचन आयोग को मतदान केंद्रवार मतदान प्रतिशत के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इसके एक दिन बाद निर्वाचन आयोग ने यह आंकड़ा जारी किया।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसने प्रत्एक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूर्ण संख्या को शामिल करने के लिए मतदान प्रतिशत आंकड़े के प्रारूप का और विस्तार करने का निर्णय लिया है। पूर्ण संख्या उन मतदाताओं की संख्या है जिन्होंने असली में वोट डाला है। निर्वाचक (इलेक्टर) वे हैं, जो निर्वाचक नामावली में पंजीकृत हैं और वोट डालने के लिए पात्र हैं।
निर्वाचन आयोग यद्यपि मतदान प्रतिशत जारी कर रहा था, लेकिन हर चरण में मतदाताओं की वास्तविक संख्या सार्वजनिक करने का अनुरोध किया जा रहा था। कुछ विपक्षी दलों द्वारा व्यक्त की गई इस आशंका का जिक्र करते हुए कि मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी की जा सकती है, निर्वाचन आयोग ने कहा कि डाले गए वोटों के संग्रह और भंडारण की प्रक्रिया सख्त, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव की शुरुआत होने की तारीख से मतदान के आंकड़े जारी करने की पूरी प्रक्रिया सटीक, सुसंगत और चुनाव कानूनों के अनुसार और किसी भी तरह की विसंगति से रहित रही है। उसने कहा कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद मतदाताओं (निर्वाचकों) की अंतिम सूची उम्मीदवारों को दी जाती है।
इसने कहा कि सभी उम्मीदवारों के अधिकृत चुनाव एजेंट के पास लगभग 10.5 लाख मतदान केंद्रों में से प्रत्येक के लिए विशिष्ट रूप से 543 सीटों पर फॉर्म 17 सी (वह दस्तावेज जिसमें डाले गए वोटों के बूथवार आंकड़ा रखा जाता है) होता है। आयोग ने कहा कि इससे पता चलता है कि आंकड़ों में हेराफेरी की कोई गुंजाइश नहीं है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वोटों की कुल संख्या, जैसा कि फॉर्म 17 सी में दर्ज है, किसी की काल्पनिक शरारतपूर्ण मंशा से भी कभी नहीं बदली जा सकती है क्योंकि यह सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के पास उपलब्ध है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि मतदान प्रतिशत आंकड़ा हमेशा ऐप पर उपलब्ध होता है। आयोग स्पष्ट करता है कि मतदान प्रतिशत आंकड़ा जारी करने में कोई देरी नहीं हुई है।
आयोग ने कहा कि मतदान के चरण के प्रेस नोट को जारी करने में किसी भी कथित देरी का मतलब यह नहीं है कि मतदाता मतदान ऐप के माध्यम से आंकड़ा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था।(भाषा)