कम वोटिंग ने बढ़ाई भाजपा की चिंता- लोकसभा चुनाव में कम वोटिंग ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। भाजपा का गढ़ माने जाने वाली सीधी लोकसभा सीट पर 2019 की तुलना में 13 फीसदी कम मतदान होने से अब मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है। सीधी में भाजपा प्रत्याशी राजेश मिश्रा और कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल के बीच सीधा मुकाबला है। ऐसे में कम वोटिंग से अब भाजपा की चिंता बढ़ गई है। सीधी में मात्रा 56.18 प्रतिशत मतदान हुआ है जो 2019 में 69.50 की अपेक्षा 13 प्रतिशत कम है।
वहीं कांटे के मुकाबले वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भी 2019 की तुलना में कम मतदान ने सियासी दलों की बैचेनी बढ़ा दी है। छिंदवाड़ा में कांग्रेस उम्मीदवार नकुलनाथ और भाजपा प्रत्याशी बंटी साहू के बीच सीधा मुकाबला है। अगर पिछले कुछ चुनावों की वोटिंग ट्रैंड का विश्लेषण किया जाए तो ज्यादा मतदान का फायदा भाजपा को मिलता रहा है, वहीं कम मतदान का सीधा लाभ कांग्रेस को हुआ है।
ऐसे में मध्यप्रदेश की 6 लोकसभा सीटों पर 2019 की तुलना में करीब 7 फीसदी कम मतदान का नतीजों पर क्या असर होगा, यह तो मतगणना वाले दिन 4 जून को ही पता चलेगा। वहीं राजनीतिक के जानकार कम वोटिंग के पीछे वोटर्स का चुनाव के प्रति कोई उत्साह नहीं होने को बड़ा कारण मानते है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक पहले चरण में उन सीटों पर कम मतदान देखा गया है जहां पर चुनावी मुकाबले में भाजपा अपने विरोधियों से आगे दिखाई दे रही थी। ऐसे अगर मध्यप्रदेश में शेष तीन चरणों की वोटिंग में चुनाव आयोग के साथ भाजपा और कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती वोटर्स को घर से निकालकर पोलिंग बूथ तक पहुंचाना है।
बूथ मैनेजमेंट पर भाजपा का फोकस- पहले चऱण में कम वोटिंग के बाद अब भाजपा ने बूथ मैनेजमेंट पर फोकस कर दिया है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने अपने जिला संगठनों को बूथ मैनेजमेंट पर फोकस करने के निर्देश दिए है। पार्टी के बूथ कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर वोट करने की अपील करने के साथ वोटिंग के अक्षत देने जैसे नवाचार करने को कहा गया है। भाजपा लोकसभा स्तर पर मंडलवार कार्यकर्ताओं की बैठक कर उन्हें वोटिंग बढ़ाने पर पूरा जोर दे रही है।