दरअसल नीतीश कुमार पिछले कुछ समय में इंडिया गठबंधन में हो रही अनदेखी से परेशान थे। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के मोदी सरकार के फैसले ने उन्हें भाजपा के करीब ला दिया। इधर भाजपा को बिहार की 40 सीटों की चिंता सता रही थी। नीतीश के साथ आने से राज्य में पार्टी की स्थिति पहले से कही ज्यादा मजबूत हो गई है।
हालांकि अब सभी की नजरें इस बात पर लगी होगी कि लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर भाजपा, जदयू, लोजपा रामविलास, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा किस तरह होता है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव 2019 में भी भाजपा-जदयू-लोजपा साथ चुनाव लड़े थे। तब भाजपा-जदयू ने 17-17 सीटें रखी थीं और लोक जनशक्ति पार्टी को 6 सीटें दी गई थीं। भाजपा और लोजपा सभी सीटों पर जीते थे तो जदयू को केवल एक सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी 2024 के चुनाव में भी इसी तरह की सफलता चाहती है।
केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि नीतीश कुमार कह रहे थे कि RJD के लोग लगातार काम नहीं करने दे रहे थे, उनका जो 15 वर्षों का शासनकाल था उसमें जो जंगलराज स्थापित हुआ था, उसी प्रकार के जंगलराज की कोशिश RJD द्वारा की जा रही थी। भाजपा बिहार के हित, विकास, सुरक्षा, विधि-व्यवस्था के लिए नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाएगी।