लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में क्यों भगदड़, बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने की क्या है वजह?

विकास सिंह

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 (13:57 IST)
लोकसभा चुनाव में जहां एक तरफ भाजपा 400 पार नारे के साथ चुनावी मैदान में आ डटी है तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी भगदड़ के हालात से जूझ रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पार्टी का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे है।  मध्यप्रदेश जैसे राज्य जहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है वहां पर तो कांग्रेस पार्टी के सामने हालात और विकट है। मध्यप्रदेश में हर दिन कांग्रेस के बड़े नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे है।

आज कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री और कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना  अपने समर्थकों के साथ भाजपा मे शामिल हो रहे। वहीं शनिवार (6 अप्रैल) को भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रदेश में एक से डेढ़ लाख कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने का दावा किया जा रहा  है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में क्यों भगदड़ के हालात बन गए है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार-अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बाद मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में कांग्रेस के बड़े नेता इन दिनों भाजपा में शामिल हो रहे है। भाजपा में शामिल होने के पीछे सभी नेता एकमात्र कारण राममंदिर पर कांग्रेस पार्टी के स्टैंड को बता रहे है। अयोध्या में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता कांग्रेस की ओर से ठुकराने को पार्टी छोडऩे वाले नेताओं ने गलत बताते हुए भाजपा में शामिल हुए।
 

गुरुवार को कांग्रेस के सीनियर प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भाजपा में शामिल होते हुए कहा कि "राममंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम के न्योते को ठुकराने से वह दुखी हैं, वह दिन भर वेल्थ क्रिएटर्स की आलोचना नहीं कर सकते और न ही कांग्रेस पार्टी की तरह लगातार सनातन धर्म का अपमान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी क्षमता का सदुपयोग भारत जैसे महान देश को आगे ले जाने के लिए करना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा में शामिल होने का फैसला किया"।

इससे पहले कांग्रेस छोड़ने वाले उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के दिग्गज नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने "राममंदिर पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा था कि “राम किसी पार्टी के नहीं हैं। वे बीजेपी या आरएसएस के नहीं हैं। वे सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों के दिल में हैं। ऐसे में कांग्रेस को अस्वीकार्य पत्र जारी नहीं करना चाहिए था। हमारी लड़ाई अयोध्या या राम मंदिर से नहीं है। हमारी लड़ाई हिंदुओं से नहीं है।
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वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी ने भाजपा में  शामिल होने पर कहा  था कि “अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण को कांग्रेस पार्टी ने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर ठुकरा दिया। इससे मुझे आघात पहुंचा। मैं अयोध्या में राममंदिर निर्माण का पक्षधर शुरु से रहा हूं। इसलिए मैंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया।“

वहीं इंदौर के पूर्व विधायक संजय शुक्ला ने भाजपा में शामिल होने पर कहा था  "अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के न्योते को कांग्रेस ने ठुकराया, मुझे इसी बात का बुरा लगा था। इसी के चलते मैंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है

लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले अयोध्या में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद जमीनी  स्तर पूरा चुनाव राममंदिर के आसपास ही घूमता नजर आ रहा है। भाजपा लोकसभा चुनाव में राममंदिर के मुद्दें पर सियासी माइलेज लेने में जुट गई है। वहीं कांग्रेस ने राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का  बहिष्कार कर एक बड़ी  गलती कर दी है, जिसका  खामियाजा कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
 

लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे से नाराजगी-लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में भगदड़ के लिए एक बड़ा कारण टिकट बंटवारे से नेताओं में नाराजगी भी है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय निरुपम ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। संजय निरुपम ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व में जबरदस्त अहंकार है और कांग्रेस आज पावर सेंटर से चल रही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी  के नेता ही उनका करियर खत्म करना चाहते थे।  

वहीं बॉक्सर विजेंदर सिंह जिन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर साउथ दिल्ली से लड़ा था वह इस बार हरियाणा के हिसार लोकसभा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी। इसके साथ मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के कई नेता जो टिकट की दावेदारी कर रहे थे उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड दी।

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कांग्रेस नेतृत्व की कमजोरी- लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में मची भगदड़ का एक बड़ा कारण कांग्रेस नेतृत्व की कमजोरी भी है। उत्तराखंड़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने खुद ही पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान उठाए है। उन्होंने संगठन के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज कांग्रेस सुस्त और आलसी हो गई है। आज हर स्तर पर हमारा स्थान भाजपा ने ले लिया है। ये राष्ट्रीय स्तर या प्रांतीय स्तर की बात नहीं है। यहां तक कि गांव स्तर पर, स्थानीय स्तर पर भी उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हमारी जगह ले ली है। जब तक हम उन्हें वहां से नहीं हटाएंगे, तब तक हम कैसे अपने इलाके के नेता बन पाएंगे।

विधानसभा चुनाव में बड़ी हार-लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जिस तरह कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा उससे भी कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है ऐसे में पार्टी के जमीनी और युवा कार्यकर्ता अपने राजनीति भविष्य के लिए भाजपा की राह पकड़ रहे है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का आंदोलन है देश को बनाने का जनता के कल्याण का और जो अपने देश की सेवा करना चाहता है,वह भारतीय जनता पार्टी में आना चाहता है तो भारतीय जनता पार्टी उनका स्वागत करती है कांग्रेस के पास कोई आधार नहीं है।

 

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