देश की राजनीति को बीते कई दशकों से नई राह दिखाने वाले सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश से आखिरकार विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को भी नई राह मिल गई है। लोकसभा चुनाव के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में शामिल दो प्रमुख दल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर समझौता हो गया है। उत्तरप्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी 63 सीटों और कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। समझौते के तहत कांग्रेस अपनी पारंपरिक सीट माने जाने वाली रायबरेली, अमेठी के साथ पीएम मोदी की संसदीय सीट बनारस से भी चुनाव लड़ेगी।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर हुए समझौते का विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया पर क्या असर डालेगा, यह तो वक्त के साथ ही साफ होगा। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर समझौता ऐसे समय हुआ जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश में है। लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाने वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन एक संजीवनी से कम नहीं है। लगातार इंडिया गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों के अकेले चुनाव लड़ने के एलान से I.N.D.I.A गठबंधन के साथ ही राहुल गांधी पर भी सवालिया निशान उठने लगे थे।
विपक्षी गठबंधन इंडिया की एकता के नजरिए से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन देर से आया एक सहीं फैसला है। लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया विपक्षी गठबंधन इंडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष के वोटों में होने वाले बिखराव को रोकना है। ऐसे मे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन एक सीमा तक भाजपा विरोधी विपक्ष के वोटों के बिखराव को रोक सकता है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की हैट्रिक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे बहुत हद तक प्रभावित करेंगे। राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी के भाजपा के साथ जाने के बाद पश्चिम उत्तरप्रदेश में जाट वोट में होने वाला बिखराव अब विपक्षी गठबंधन के साथ जा सकता है। 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी ने बसपा और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन में लड़ा था और इसका सीधा फायदा बसपा को मिला था। ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस गठबंधन में कांग्रेस को लाभ मिल सकता है बशर्ते कांग्रेस के उम्मीदवारों के सेलेक्शन बेहतर हो।
उत्तरप्रदेश के चुनाव पिछले एक दशक से मुद्दों के जगह ध्रुवीकरण के आसपास टिका होता है। ऐसे में विपक्षी गठबंधन इंडिया के सामने चुनौती मोदी विरोधी वोटों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करना है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के एक साथ आने से देश के सबसे बड़े सूबे में मुस्लिम वोटर्स का बिखराव रूकेगा, इसमें कोई शक नहीं है और इसका सीधा फायदा विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवारों को मिलेगा।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन पूरे देश में इंडिया गठबंधन को नई दिशा दे सकता है। विपक्षी गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी भी अब कांग्रेस के साथ समझौते पर आगे बढ़ रही है। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन पश्चिम बंगाल में ममता और कांग्रेस के बीच गठबंधन की राह को खोल सकता है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के गठबंधन नहीं किया था लेकिन अब कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में भी समाजवादी पार्टी को खजुराहो संसदीय सीट देकर प्रदेश की सियासत भी गठबंधन का एक नया रास्ता खोल दिया है। राहुल गांधी की मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो न्याय यात्रा की एंट्री से लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच समझौता विपक्ष की सियासत को एक नई राह देगा।
उत्तरप्रदेश के साथ ही बिहार में भी कांग्रेस और आरजेडी एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे है। पिछले दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी के साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की जिस तरह जुगलबंदी दिखाई दी उससे इंडिया गठबंधन को बेशक मजबूती मिली थी। भारत जोडो़ न्याय यात्रा जब बिहार के सासाराम पहुंची तब तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी की गाड़ी को चलाकर उनके सारथी की भूमिका निभाई। बिहार में नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन से अलग होकर पाला बदलने के बाद राहुल और तेजस्वी की जोड़ी इंडिया गठबंधन को मजबूती प्रदान करने की कोशिश की है। ऐसे में जब बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है तब इंडिया गठबंधन का मजबूत होना नीतीश की भाजपा के साथ जुगलबंदी को सीधी चुनौती देगा।