मुलायम पहले पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की पार्टी जनता दल से रिश्ता तोड़कर चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी में शामिल हुए। यादव का जल्द ही चंद्रशेखर से भी मोहभंग हो गया। तब सजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर ने उन पर अपनी महत्वाकांक्षा के चलते धोखा देने का आरोप लगाया था, जबकि मुलायम का कहना था कि चंद्रशेखर की कांग्रेस से बढ़ती निकटता उन्हें रास नहीं आ रही थी।
अंतत: मुलायम ने 1992 में समाजवादी पार्टी के नाम से नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। मुलायम सपा के संस्थापक अध्यक्ष बने, जबकि जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिलदेव सिंह और मोहम्मद आज़म खान पार्टी के महामंत्री बने। मोहनसिंह को प्रवक्ता बनाया गया था।
तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम : मुलायम जहां राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव मार्च 2012 से मार्च 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। 2012 के चुनाव में सपा ने 224 सीटें हासिल कर एकतरफा बहुमत प्राप्त किया था। सपा का मुख्य रूप से जनाधार अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) खासकर यादवों में ज्यादा है। मुस्लिम समुदाय का उसे अच्छा समर्थन प्राप्त है।
परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण : हालांकि लोहिया के समाजवाद को आदर्श मानने वाली सपा परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण है। मुलायम, शिवपाल (अब अलग), रामगोपाल, अखिलेश, डिंपल यादव, धर्मेन्द्र यादव आदि ऐसे नाम हैं, जो यादव परिवार से ही आते हैं। इनके अलावा विधानसभा और पंचायत स्तर पर भी कई ऐसे नाम हैं, जो यादव परिवार से आते हैं।
यूपी से लगे मध्यप्रदेश के इलाकों में भी सपा ने अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई। 2003 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 7 सीटें प्राप्त हुई थीं। उस समय सपा मप्र में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। सपा मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, बिहार आदि राज्यों में भी चुनावी मैदान में उतर चुकी है। हालांकि वहां उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली।