सूरत लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम

मंगलवार, 21 मई 2019 (22:16 IST)
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प्रमुख प्रतिद्वंद्वी: दर्शना जरदोश (भाजपा), अशोक अधेवाड़ा (कांग्रेस)
सूरत लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने एक बार फिर वर्तमान महिला सांसद दर्शना जरदोश पर भरोसा जताया है जबकि कांग्रेस ने इस बार अशोक अधेवाड़ा को टिकट दिया है। सूरत लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। दर्शना जरदोश इस सीट पर 2009 से सांसद हैं और उनसे पहले 1989 से 2004 चुनाव तक काशीराम राणा का इस सीट पर एकछत्र राज रहा।
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परिचय : सिल्क और डायमंड सिटी के नाम से मशहूर गुजरात का एक प्रमुख शहर है सूरत। यहां भारत के लगभग सभी राज्यों के लोग निवास करते हैं। इस कारण यह लघु भारत के नाम से भी जाना जाता है। सूरत वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मोरारजी भाई देसाई भी इस सीट से पांच बार सांसद रहे।
 
जनसंख्‍या : लोकसभा चुनाव 2014 के मुताबिक यहां की कुल जनसंख्या 26 लाख 17 हजार 24 है। भारत के 15 सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में सूरत आठवें स्‍थान पर है। विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं के चलते यहां दूसरे राज्यों के लोग भी बड़ी संख्‍या में बसे हुए हैं। 
  
अर्थव्यवस्था : यह देश का प्रमुख बंदरगाह शहर है। इसे गुजरात की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। सूरत के सूती, रेशमी, जरीदार कपड़ा (किमख़्वाब) तथा सोने व चांदी की वस्तुएं प्रसिद्ध हैं। यहां हीरे पर पॉलिश के उद्योग ने भी प्रवासी मज़दूरों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
  
भौगोलिक स्थिति : गुजरात का यह मशहूर शहर भारत के पश्चिम में स्थित है और तापी नदी इस शहर के मध्य से होकर गुजरती है।
 
16वीं लोकसभा में स्थिति : भाजपा की दर्शना जरदोश यहां सांसद हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी नैषध देसाई को पराजित किया था। साल 1984 के लोकसभा चुनाव तक सूरत कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन बाद में भाजपा का गढ़ बना गया, क्‍योंकि 1984 के बाद यह सीट कांग्रेस ने कभी नहीं जीती।
 
गुजरात के बारे में : गुजरात की 26 सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। वर्तमान में यहां भाजपा की सरकार है। पिछले चुनाव में भाजपा सभी लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। बसपा ने भी यहां से उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन यह कवायद महज उपस्थिति दर्ज कराने के लिए है। यहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस के भारत सिंह सोलंकी जैसे नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। चूंकि नरेंद्र मोदी भी गुजरात से ही आते हैं, अत: यहां उनके लिए एक बार फिर 2014 जैसा प्रदर्शन दोहराने का दबाव रहेगा।

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