राष्ट्रीय राजधानी में लोकसभा की भले ही सात सीटें हों लेकिन उनके परिणाम दिल्ली की राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि चुनाव में अगर कांग्रेस को जीत मिलती है तो मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और ताकतवर बनकर उभरेंगी। अगर भाजपा अपनी स्थिति सुधारती है तो वह अपने धड़े को एकजुट रखने में सक्षम होगी।
आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस का कहना है कि उसकी प्राथमिक रिपोर्ट सुझाती है कि उसे कम से कम छह सीटें मिलेंगी वहीं भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि वे अपने प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार करेंगे।
यद्यपि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जे पी अग्रवाल का कहना है कि पार्टी सभी सात सीटों पर जीत हासिल करेगी लेकिन पार्टी में अनेक लोगों का मानना है कि भाजपा एक सीट जीत सकती है।
अग्रवाल ने कहा चुनाव बाद हमारे मूल्यांकन के अनुसार हमने सभी सात सीटों पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। हम चुनाव में सारी सीटें जीतने को लेकर आश्वस्त हैं।
अपनी गणना का कारण बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि उत्तरी पूर्वी सीट से बसपा उम्मीदवार हाजी दिलशाद के हट जाने से सभी बसपा प्रत्याशियों का मनोबल गिरा। उन्होंने कहा इसलिए बसपा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा सकी।
मायावती नीत बसपा दलित और अल्पसंख्यक मतों में कितनी सेंधमारी करेगी उम्मीद है कि उससे ही चुनाव के परिणाम तय होंगे। विधानसभा चुनाव में उसे दो सीटों पर जीत मिली थी।