बेचारे जोशीजी, क्या करें?

सोमवार, 2 फ़रवरी 2009 (16:18 IST)
-वेबदुनिया डेस्क
कैलाश जोशी मध्यप्रदेश के पूर्व मु‍ख्यमंत्री रह चुके हैं, वर्तमान सांसद हैं और भाजपा के शीर्ष और पुराने नेताओं में गिने जाते हैं। लेकिन राजनीति में उनकी खूबियाँ खामियाँ बन गई हैं और वे बहुत नाराज हैं लेकिन वे करें क्या?

समझा जाता है कि इस बार संभवत: उन्हें भोपाल से लोकसभा के लिए नामजद न किया जाए क्योंकि इस सीट पर भाजपा की एक और तेजतर्रार महिला नेत्री और सुप्रीम कोर्ट की वकील सुषमा स्वराज चुनाव लड़ना चाहती हैं।

इस बात से खफा जोशी ने पार्टी के सभी बड़े-छोटे नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। वे एलके आडवाणी, राजनाथसिंह तक अपनी बात पहुँचा चुके हैं लेकिन लगता है कि उनकी नाराजगी का कोई असर नहीं हो रहा है। हाल ही में पार्टी के एक और दावेदार सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ये हैं राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे।

जोशी को पूर्व में भी दरकिनार किया जा चुका है और पार्टी में माना जाता है कि वे ट्रबल मेकर नहीं हैं और किसी भी लॉबी से जुड़े न होने के कारण वे हाईकमान के आदेश को चुनौती देने की भी हालत में नहीं होंगे।

पहले भी वे भोपाल से चुनाव लड़ने वाले थे कि तब पार्टी में सक्रिय उमा भारती ने खजुराहो के बजाय भोपाल से चुनाव लड़ने का फैसला ‍कर लिया था और उन्हें सीट छोड़ देनी पड़ी थी। इस बार उमा भारती नहीं हैं तो सुषमा स्वराज हैं जो किसी भी मामले में उमा से कम नहीं हैं।

पार्टी में जो उनके थोड़े बहुत आलोचक हैं, उनका मानना है कि अपनी परेशानियों का कारण खुद जोशीजी हैं क्योंकि वे अपने समर्थकों का हित साधने में पीछे रहे हैं। जबकि इस मामले में दोनों महिलाएँ बहुत आगे रही हैं। हालाँकि एक निवर्तमान सांसद का टिकट काटना सरल नहीं होता है क्योंकि इसका कोई औचित्य नहीं होता है। पर यह एक खराब उदाहरण भी बन जाएगा और पार्टी में जोशीजी जैसे लोगों की मुसीबत बढ़ती रहेगी।

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