मध्यप्रदेश के धार विधानसभा क्षेत्र से काफी जद्दोजहद के बाद अंततः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी नीना वर्मा को मात्र एक मत से विजयी घोषित किया गया।
मंगलवार सुबह पाँच बजे धार के निर्वाचन अधिकारी सीके गुप्ता ने भाजपा उपाध्यक्ष विक्रम वर्मा की पत्नी एवं भाजपा प्रत्याशी वर्मा को दो बार पुनर्मतगणना के बाद मात्र एक मत से विजयी घोषित किया गया।
इसके पहले कल शाम वर्मा को विजयी घोषित करने के ठीक पहले गौतम की आपत्तियों पर मतों की गिनती फिर से कराई गई। वे और उनके चुनावी एजेंट फिर भी संतुष्ट नहीं हुए और एक बार पुनः वोटों की गिनती की माँग करने लगे। पूरी रात जद्दोजहद के बीच एक बार फिर से मतों की गिनती के बाद सुबह पाँच बजे परिणाम घोषित किया गया।
धार के परिणाम की घोषणा के साथ ही राज्य के सभी 230 सीटों के नतीजे सामने आ गए हैं। भाजपा ने कुल 143, कांग्रेस ने 71, बहुजन समाज पार्टी ने सात, भारतीय जनशक्ति ने पाँच, समाजवादी पार्टी ने एक और निर्दलीयों ने तीन सीटें हासिल की हैं।
कल रात पन्ना विधानसभा सीट से भी पुनर्मतगणना के बाद राज्य की महिला मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले को मात्र 53 मतों से पराजित घोषित किया गया। उन्हें कांग्रेस के श्रीकांत दुबे ने शिकस्त दी।
वर्ष 2005 में 29 नवंबर को पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने वाले चौहान को भाजपा ने तेरहवें विधानसभा चुनाव के पहले ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया था।
चौहान की अगुवाई में भाजपा ने तमाम चुनावी आकलनों को झुठलाते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करके इतिहास रच दिया है। इसके पहले भाजपा कभी भी सत्ता में लगातार दोबारा नहीं लौटी थी। वर्ष 2003 में भाजपा ने तीन चौथाई बहुमत हासिल करके सरकार बनाई थी और आठ दिसंबर को तत्कालीन पार्टी नेता उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी।
हुबली प्रकरण के चलते भारती को नौ माह में ही पद छोड़ना पड़ा और बाबूलाल गौर ने 23 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली1 हुबली प्रकरण से भारती के बरी होने के बाद राजनीतिक समीकरण बदले और गौर को भी पद छोड़ना पड़ा इसके बाद 29 नवंबर 2005 को चौहान ने मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाली।
चौहान ने इस चुनाव में बुधनी विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार विजय हासिल की है। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के महेश राजपूत को 41525 मतों से करारी शिकस्त दी। चौहान क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं गए और उनकी पत्नी श्रीमती साधना चौहान ने ही प्रचार अभियान संभाला। वे सिर्फ नामांकन पत्र दाखिल करने सीहोर जिला मुख्यालय पहुँचे थे।