मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने इस बार उमा भारती को विधानसभा चुनाव में कोई तवज्जो नहीं दी। 2003 में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को इसी तेज तर्राट संन्यासिन ने सत्ता के सिंहासन पर बैठाया था। भाजपा को नेस्तनाबूद करने की चुनौती को ठेंगा दिखाते हुए उनके गृह टीकमगढ़ की जनता ने खुद उन्हें भी लगभग दस हजार वोटों से पराजित कर स्पष्ट संदेश दे दिया है।
राज्य की कुल 230 सीटों में से भारतीय जनशक्ति को हालाँकि पाँच सीटें हासिल हुई हैं और छः सीटों पर वह नंबर दो की हैसियत में रही। लेकिन भाजपा के विजय रथ को थामने की शक्ति जनता ने उन्हें नहीं दी। जनता ने उमा भारती को भविष्य के भी संकेत दे दिए हैं
राज्य की कुल 230 सीटों में से भारतीय जनशक्ति को हालाँकि पाँच सीटें हासिल हुई हैं और छः सीटों पर वह नंबर दो की हैसियत में रही। लेकिन भाजपा के विजय रथ को थामने की शक्ति जनता ने उन्हें नहीं दी। जनता ने उमा भारती को भविष्य के भी संकेत दे दिए हैं।
टीकमगढ सीट से कांग्रेस के यादवेन्द्र सिंह ने सुश्री भारती को 9840 मतों के अंतर से पराजित किया हालाँकि इस सीट पर शिवराज सरकार में मंत्री और कभी उमा के समर्थक रहे अखंडप्रताप सिंह की जमानत तक जब्त हो गई, लेकिन टीकमगढ़ जिले की बरगापुर सीट से भाजश के अजय यादव बहुजन समाज पार्टी के सुरेन्द्र सिंह को मुश्किल से 1013 मतों से हरा कर उमा की थोड़ी सी लाज बचा पाए। जतारा सुरक्षित सीट से भाजश के आरडी प्रजापति भाजपा के हरिशंकर खटीक से कड़े मुकाबले में 847 मतों से पराजित हुए।
गुना सीट पर राजेन्द्र सिंह सलूजा ने कांग्रेस की संगीता मोहन रजक को 12934 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया, लेकिन भाजश के लिए यह सीट इस मायने में आसान रही क्योंकि भाजपा के उम्मीदवार गोपीलाल जाटव का नामांकन पत्र तकनीकी गड़बड़ी के कारण खारिज कर दिया गया
पड़ोस के छतरपुर जिले की दो सीटों पर ही उमा का असर दिखाई दिया। उनकी पुरानी सीट बड़ा मलहरा से भाजश की रेखा यादव ने कांग्रेस की मंजुलाशील देवड़िया को 6522 मतों से हराया, लेकिन चंदला सुरक्षित सीट से आरडी प्रजापति शिवराज सरकार में मंत्री रामदयाल अहिरवार को कड़ी टक्कर देने के बावजूद 958 वोटों से पराजित हो गए।
ग्वालियर चंबल क्षेत्र की मात्र दो सीटों पर सुश्री भारती का असर दिखा। गुना सीट पर राजेन्द्र सिंह सलूजा ने कांग्रेस की संगीता मोहन रजक को 12934 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया, लेकिन भाजश के लिए यह सीट इस मायने में आसान रही क्योंकि भाजपा के उम्मीदवार गोपीलाल जाटव का नामांकन पत्र तकनीकी गड़बड़ी के कारण खारिज कर दिया गया था, जबकि, शिवपुरी जिले की पिछोर सीट पर भाजश दूसरा स्थान लेकर कुछ प्रतिष्ठा बचा पाई।
यहाँ कांग्रेस के पूर्व मंत्री केपी सिंह विजयी रहे। उन्होंने भाजश के भैया साहब लोधी को 27049 के बड़े अंतर से शिकस्त दी। बुन्देलखण्ड में पन्नाा जिले की पवई सीट पर कांग्रेस छोड़कर उमा की शरण में आए पूर्व मंत्री मुकेश नायक को भी जनता ने नकार दिया। वे भाजपा के बृजेन्द्र प्रताप सिंह से 1090 मतों के अंतर से पराजित हो गए।
लेकिन, रीवा की मऊगंज सीट से भाजश के लक्ष्मण तिवारी भाजपा के अखंड प्रताप सिंह को 4869 मतों से हराने में कामयाब रहे। भाजश की सबसे महत्वपूर्ण जीत रायसेन जिले की सिलवानी सीट पर रही। यहाँ देवेन्द्र सिंह पटेल कड़े मुकाबले में विदिशा से भाजपा सांसद रामपाल सिंह को 247 मतों के अंतर से हराने में सफल रहे। भाजश की जिस एक अन्य सीट पर मौजूदगी दिखाई दी, वह कटनी जिले की बहोरीबंद सीट है। इस पर भाजश के शंकरलाल महतो ने कांग्रेस के निशीथ पटेल को कडी टक्कर दी, लेकिन वे 1674 मतों के अंतर से हार गए।