जीवन में एक बहुत ही अहम भूमिका है इतिहास की। ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है मनुष्य। आइए मध्यप्रदेश के कुछ संग्रहालयों में हम इतिहास को करीब से देखें।
भोपाल के प्रसिद्ध बिड़ला संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक प्रतिमाएँ रखी गई हैं। आदिकाल में जब मनुष्य पत्थर इस्तेमाल करते थे उनके भी अंग यहाँ पर देखे जा सकते हैं।
सातवीं सदी से लेकर तेरहवीं सदी तक की ऐतिहासिक जगहों के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। पुराने सिक्के, पत्तों पर लिखे गए शब्द चित्र भी प्रदर्शित किए गए हैं। टेराकोटा से बनाई गई प्रतिमाएँ यहाँ पर प्रयोग की जाती हैं।
भोपाल में राष्ट्रीय (सेंट्रल) संग्रहालय 1949 में स्थापित किया गया था। चित्रकला, पौराणिक सिक्के जिन पर राजा महाराजाओं एवं अँग्रेज शासकों के चित्र बनाए गए। ऐसे सिक्के यहाँ पर पाए जाते हैं।
भोपाल में राष्ट्रीय (सेंट्रल) संग्रहालय 1949 में स्थापित किया गया था। चित्रकला, पौराणिक सिक्के जिन पर राजा महाराजाओं एवं अँग्रेज शासकों के चित्र बनाए गए। ऐसे सिक्के यहाँ पर पाए जाते हैं। ताँबे या पीतल से बनाई गई वस्तुएँ मिलती हैं। लकड़ी से बनाई गई वस्तुएँ प्रदर्शित की जाती हैं। हाथ से बनाए गए भिन्न प्रकार की प्रतिमाएँ, कढ़ाई की गई वस्तुएँ देखी जा सकती हैं।
भोपाल में भारत भवन एक अलग प्रकार का संग्रहालय है। रंग महल, अन्हद, शास्त्रीय संगीत के भवन वागर्थ पुस्कालय जहाँ पर कविताओं की पुस्तकें रखी गई हैं। बहारि रंगमंच जहाँ पर नाटक, खेल, हास्य रंग आयोजित किए जाते हैं। मुख्य रूप से रूपांकर चित्रालय में असंख्य प्रकार के चित्र प्रदर्शित करते हैं। रूपांकर में दो प्रकार की चित्रकला देखी जा सकती है।
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एक स्थान है जहाँ पर वर्तमान के चित्र एवं नक्काशी की प्रतिमाएँ प्रदर्शित की गई हैं। परंतु कुछ विभागों में लोक गीत प्रस्तुत किए जाते हैं। 4000 के करीब वस्तुएँ मध्यप्रदेश से संग्रहित की गई हैं। विभिन्न जाति की संस्कृति एवं कला से चित्र के माध्यम से परिचित किए गए हैं। इस राज्य में विभिन्न प्रकार के चित्र नजर आते हैं। भिन्न क्षेत्रों से वस्तुएँ संग्रहालय में सुरक्षित रूप से प्रदर्शित कर दिए गए हैं। जीव, पक्षी एवं खिलौने के रूप में वस्तुएँ प्रदर्शित किए गए हैं।
ग्वालियर के पुरात्तात्त्विक संग्रहालय वर्ष 1922 में इस संग्रहालय को स्थापित किया गया था। ताँबे की वस्तुओं पर सुंदर चित्र अंकित किए गए हैं। पत्थरों के स्तम्भ स्थापित किए गए हैं। टैराकौटा की प्रतिमाएँ वहाँ पर सजाई गई थीं। पद्मावती, बेसावनगर, उज्जयिनी एवं महेश्वर से पौराणिक वस्तुएँ मिली हैं।
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साँची के पुरात्तात्त्विक संग्रहालय
राजा अशोक ने यहाँ पर स्तम्भ स्थापित किया था जिस पर शेर की मूर्ति लगाई गई थी। भगवान बुद्ध की प्रतिमाएँ श्रद्धापूवर्क स्थापित की गई थीं। भगवान गणेश की मूर्ति भी वहाँ पर है। साँची में सबसे प्रसिद्ध हैं सम्राट अशोक के बनाए गए स्तूप। मंदिर, मठ एवं स्तूप यहाँ पर स्थापित किए गए हैं।
केंद्रीय संग्रहालय सन् 1929 में स्थापित संग्रहालय सबसे पुराना संग्रहालय है। मध्यप्रदेश के मालवा जिले में इस केंद्रीय संग्रहालय को स्थापित किया गया था। वहाँ पर विभिन्न प्रकार के चित्र, प्रतिमाएँ भी देखी जा सकती हैं।