माना जा रहा है कि यहां सड़े-गले गेहूं पर पॉलिश कर उसे अच्छा बनाकर बाजारों में बेचा जा रहा है। लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर खुद की चांदी करने वाले नीमच में कई व्यापारी हो सकते हैं, जो इस प्रकार से गेहूं पर कलर चढ़ाने का कार्य कर रहे हों। इनकी भी जांच जरूरी है।
3 दिसंबर को हुई कार्रवाई के बाद जब इस संबंध में आज जिला खाद्य एवं औषघि अधिकारी संजीव मिश्रा से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि कार्रवाई के दौरान 5 प्रकार नमूने लिए गए हैं। एक गेहूं का नमूना जिस पर कलर और पॉलिश की जा रही थी, वो लिया गया है। वहां पर अलग-अलग ब्रांडो में गेहूं पैक करके रखे गए थे जिसमें कलर व पॉलिश युक्त मिलावटी गेहूं भर रखे थे।
उन्होंने बताया कि गेहूं के काफी सारे काफी ब्रांड मिले है। उनमें झिलमिल, प्रतिष्ठा, अमूल, बिट क्वाइन, सुपर किंग, ओलम्पिक, जलसा, ओलम्पिक प्रीमियम, रेड्डी, कलर वाला माल नाइस, छोटा भीम, जनता, वंडर, अन्ना आदि के ब्रांड पाए गए। इन सभी ब्रांडों के पैक में यह कलर व पॉलिश वाले हानिकारक गेहूं बेचे जा रहे थे।
मिश्रा ने बताया कि वहां केसरिया कलर का घोल भी मिला है। मिश्रा ने कुल माल का वजन 1 लाख 20 हजार 620 किलोग्राम बताया है और जिसकी कीमत 27 लाख 78 हजार 800 रुपए बताई गई है। मिश्रा ने यह भी बताया कि इनके जांच के लिए नमूने भोपाल भेज दिए गए हैं। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। प्लांट को सील कर दिया गया है। (फोटो : मुस्तफा हुसैन)