नाराज नेताओं ने साफ कहा कि पार्टी संगठन की निष्क्रियता, पार्टी की गुटबाजी और भीतरघात के चलते हार का सामना करना पड़ा, वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हार को लेकर प्रदेश नेतृत्व से पूरी रिपोर्ट तलब की है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसमें प्रदेश भाजपा के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए गए है।
सूबे में बदले सियासी समीकरणों के बीच जबलपुर से लोकसभा सांसद राकेशसिंह अब लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए पूरा ध्यान अपनी संसदीय सीट पर देना चाह रहे हैं। कमलनाथ कैबिनेट में जबलपुर से दो कैबिनेट मंत्री बनाए जाने और जबलपुर से आने वाले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तनखा की विधानसभा चुनाव में महाकौशल समेत पूरे जबलपुर में सक्रियता भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
इस बार विधानसभा चुनाव में महाकौशल में भाजपा को कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। महाकौशल की कुल 38 सीटों में से कांग्रेस ने 25 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं बीजेपी को महज 13 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। वहीं अगर बात करें राकेशसिंह के गृह जिले जबलपुर की तो जिले में भी पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा है। ऐसे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सिंह के ऊपर इस बार अपनी ही संसदीय सीट जीतने को लेकर काफी दबाव है।
सूत्र बताते हैं कि गुरुवार को शिवराजसिंह चौहान के दिल्ली दौरे के दौरान पार्टी के आला नेताओं के सामने प्रदेश नेतृत्व को बदले जाने का मामला उठा। वहीं पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव का मन बना रहा है। पार्टी नेतृत्व प्रदेश बीजेपी के संगठन महामंत्री और सह-संगठन महामंत्री समेत पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को बदले जाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की भूमिका को लेकर भी पार्टी में पहले ही कई सवाल खड़े हो चुके हैं। वहीं सह-संगठन महामंत्री अतुल राय की विधानसभा चुनाव में भूमिका को लेकर भी कुछ सवाल पार्टी आला कमान तक पहुंचे हैं। ऐसे में पार्टी आलाकामन लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में भाजपा के संगठन को नए सिरे से तैयार करना चाह रहा है।