मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अपने चौथे कार्यकाल का पहला वर्ष पूर्ण कर रहे है। चौथी पारी के पहले साल में कोरोना की चुनौती को अवसर में बदलने वाले शिवराज फ्रंट फुट पर खेल रहे है। बतौर मुख्यमंत्री 14 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले शिवराज आज अक्रामक अंदाज में नजर आ रहे है। 23 मार्च 2020 को रिकॉर्ड चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान चौथी पारी में पहले दिन से ही आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं। एक हरफनमौला कैप्टन में रूप में शिवराज सरकार की बगडोर संभालने के साथ संगठन पर भी अपनी पकड़ बनाए हुए है।
आज से ठीक एक वर्ष पूर्व जब शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार प्रदेश की कमान संभाली थी तब मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी अपनी दस्तक दे चुका था। देश का हद्रय प्रदेश कहा जाने वाले मध्यप्रदेश आज कोरोना के खिलाफ पहली जंग में अगर सफल हुआ है तो इसका पूरा श्रेय अनुभवी और दूरदर्शी सोच वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है।
23 मार्च 2020 की शाम को मध्यप्रदेश की बागडोर चौथी बार संभालने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने दीर्धकालिक प्रशासकीय अनुभवों के आधार पर स्थिति की गंभीरता को भांप चुके थे,इसलिए शपथ लेने के साथ ही वह एक्शन में आ गए। विरासत में मिली कोरोना की चुनौती एक अवसर में बदलकर उन्होंने कोरोना संकट से न केवल प्रदेश को बचा लिया बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदा में अवसर के मंत्र पर चलकर आज मध्यप्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है। अपने पिछले कार्यकाल में मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से निकालने वाला शिवराज सिंह चौहान अब चौथे कार्यकाल में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए संकल्पित नजर आ रहे है।
बात चाहे माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान की हो या सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वाले सरकारी अफसरों पर कार्रवाई का शिवराज बड़े फैसले लेने से चूक नहीं रहे है। मुख्यमंत्री फैसला ऑन द स्पॉट कर रहे है। मुख्यमंत्री अपने मंचों से माफियाओं को सीधी चेतावनी देने के साथ काम में लापरवाही करने पर अफसरों को भी खुलेआम फटकार लगा रहे है। चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विपक्ष पर भी बेहद अक्रामक नजर आ रहे है। चौथी पारी में अक्रामक रुप से फ्रंट फुट पर खेल रहे शिवराज अपनी सहजता, सौम्यता और विनम्रता के चलते अपने विरोधी का भी दिल जीत लेते हैं।