...फिर भी सावधानी तो जरूरी है : इसमें कोई संदेह नहीं कि अपने दौर के 'रॉबिन हुड' टंट्या मामा को पूरा सम्मान मिलना चाहिए, लेकिन इसके लिए लोगों के स्वास्थ्य को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। इतनी भीड़ में यदि कुछ संक्रमित लोग भी हुए तो इस बात की पूरी आशंका है कि यह संक्रमण कुछ और लोगों में फैल जाए। ऐसे में ऐहतियात जरूरी है। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर में चिताओं की कतारें, ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए मारे-मारे फिरते लोग, दवाइयों के लिए लगी लंबी लाइनों वाले दृश्य अभी भी लोगों की आंखों से ओझल नहीं हो पाए हैं। जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनका दर्द तो बयां करना ही मुश्किल है।