भोपाल । मध्य प्रदेश में हनीट्रैप की आंच अब पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गई है। हाईप्रोफाइल हनीट्रैप के सनसनीखेज खुलासे के बाद पिछले कई दिनों से पुलिस मुख्यालय में चल रही अंदरूनी खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। सूत्र बताते हैं कि हनीट्रैप मामले में पुलिस अफसरों के नाम आने की सुगबुगाहट के बाद अब सूबे के आला पुलिस अफसर अपने बचाव में जुटे हुए दिखाई दे रहे है।
हनीट्रैप की अय्याशी के लिए गाजियाबाद में प्रदेश सायबर सेल के किराए पर लिए गए फ्लैट के इस्तेमाल होने की चर्चा के बीच अब आरोप- प्रत्यारोप का सिलसिला शुरु हो गया है। एसटीएफ डीजी पुरुषोतम शर्मा ने आरोप लगाया है कि उन्हें इस मामले में बेवजह बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि दिल्ली जाने वाले पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों के लिए फ्लैट को किराए पर लिया गया था,लेकिन डीजीपी का इसे हनीट्रैप से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस पूरे मामले को लेकर डीजीपी वीके सिंह के खिलाफ स्पेशल डीजी शर्मा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और आईपीएस एसोसिएशन से शिकायत दर्ज कराई है। आईपीएस एसोसिएशन को लिखे पत्र में डीजी शर्मा ने अपनी पीड़ा जताते हुए कहा है कि हमारे संस्कार इतने निचले स्तर तक आ गए है कि एक सीनियर अधिकारी ने मातहत सीनियर अधिकारी की इज्जत उछाल दी। डीजीपी वीके सिंह के इस व्यवहार से पूरे विभाग की इज्जत उछाली गई है। उन्होंने अपने पत्र में एसोसिएशन की बैठक में डीजीपी वीके सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने और ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है कि आगे से ऐसा न हो।
इस पूरे विवाद की जड़ गाजियाबाद में एसटीएफ के लिए लिया गया किराया का एक फ्लैट है जिसकी अनुमति खुद डीजी एसटीएफ पुरषोषम शर्मा ने अपने स्तर पर दी थी। पुलिस मुख्यालय से जुड़े सूत्र बताते है कि हनीट्रैप मामले में जब मध्य प्रदेश के 5 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम सामने आने को लेकर चर्चा गर्म हुई तो इस पर विवाद बढ़ गया। नियमानुसार प्रदेश के बाहर इस तरह किसी फ्लैट को किराए पर लेने के लिए पुलिस मुख्यालय की अनुमति जरुरी है लेकिन इस मामले में डीजीपी वीके सिंह को पूरी तरह दरकिनार किया गया। इसको लेकर डीजीपी वीके सिंह ने डीजी एसटीएफ से स्पष्टीकरण मांगा था। जिसकी शिकायत डीजी एसटीएफ ने मुख्यमंत्री और पुलिस अफसरों से की थी।