गांधी प्राणी उद्यान के पशु चिकित्सक उपेन्द्र यादव ने बताया कि रानी ने कुछ दिन पहले खाना-पीना छोड़ दिया था और उसे दिखना भी बंद हो गया था। इसके बाद पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने उसका इलाज किया, लेकिन उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। बुधवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे उसने दम तोड़ दिया।
उन्होंने बताया कि वन विभाग के अफसरों के सामने रानी का पोस्टमार्टम किया गया। यादव ने बताया कि रानी को 2004 में चंडीगढ़ के छत्रवीर लॉयन सफारी से ग्वालियर लाया गया था। शेरनी की औसत आयु 18 वर्ष होती है, लेकिन रानी 24 वर्ष तक जिंदा रही। ज्यादा उम्र और कई अंगों के काम नहीं करने की वजह से उसकी मौत हो गई।