मकर सक्रांति पर 30 साल बाद सूर्य देव का स्वागत शनि देव करेंगे। इससे पहले यह योग 15 जून 1991 में बना था। इस बार शनि सूर्य देव का स्वागत 14 जून 2021 को करेंगे उस वक्त माता का कारक चंद्रमा, बुद्धि का कारक बुध और ज्ञान का कारक गुरु भी होगा।
इस पर्व को निजी जीवन से जोड़ें तो यह रिश्तों में भी मिठास का संदेश देता है। मकर सक्रांति का त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के कारण मनाया जाता है। सूर्य का गुड़ और शनि का तिल मिलाकर मीठा-मीठा बोलने का आवाहन किया जाता है। इसी क्रम में हर वर्ष की तरह उज्जैन में सूर्य देव की सवारी नवग्रह शनि मंदिर से निकाली जाएगी एवं शनि के पास विराजित की जाएगी।
पिता-पुत्र संबंधों में मधुरता का अनूठा संदेश : डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग के प्रमुख कृष्णा गुरुजी ने बताया कि मकर सक्रांति यानी पिता सूर्य का पुत्र शनि की मकर राशि में प्रवेश होता है। उन्होंने कहा कि आम जिंदगी में पिता-पुत्र के रिश्तों में और मधुरता बढ़े इसके लिए इस दिन पिता पुत्र के कमरे में कुछ समय बिताएं, साथ में चाय-काफी पीकर रिश्तों में मधुरता का संदेश दें।
इस बार उज्जैन के 105 वर्षीय राम बा भी आयोजन में सम्मिलित होंगे, जिनका पाद पूजन कृष्णा गुरुजी स्वयं करेंगे। कृष्णा गुरुजी कहते हैं कि हर ग्रह किसी न किसी रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य पिता का, चंद्र मां का, मंगल भाई-बहनों का, बुध मामा का, गुरु पति का, शुक्र पत्नी का और शनि देव वृद्ध का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर कोई इंसान अपने रिश्तों को मजबूत करता है तो ग्रह भी मजबूत होते हैं।