एमपी में मंत्रियों से इस्तीफे लेने की खबरों के बीच सामने आई गुटबाजी, डिनर पर बनी सिंधिया गुट के मंत्रियों की रणनीति

भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के 6 महीने पूरे होने के साथ ही अब एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को एक पत्र भी लिखा है।
 
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री विधानसभा के मानसून सत्र से पहले प्रदेश में नए सिरे से मंत्रिमंडल का गठन करना चाहते हैं। इसके लिए लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाले करीब आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों की छुट्टी करने की भी खबरें आ रही हैं। 
 
खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री ने सोनिया गांधी को जो पत्र लिखा है उसमें कैबिनेट में नए चेहरे शामिल करने के लिए मौजूदा कैबिनेट में प्रदेश के बड़े नेताओं के कोटे से बने दो-दो मंत्रियों के इस्तीफे लेने की भी बात कहीं गई है।
 
सूत्र बताते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में 10 नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। इसमें सरकार के समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा समेत बसपा के 2 और सपा का एक विधायक का मंत्री बनाना तय माना जा रहा है।
 
सिंधिया गुट के मंत्रियों का डिनर : मंत्रिमंडल विस्तार और कुछ मौजूदा मंत्रियों के इस्तीफे लेने की खबरों के बीच रविवार रात कमलनाथ कैबिनेट में सिंधिया गुट के मंत्री के बैठक हुई है। कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के घर पर हुए डिनर पर मंत्री तुलसी सिलावट, प्रद्मुम्मन सिंह तोमर , प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी शामिल हुए।
 
सूत्र बताते हैं कि सिंधिया गुट का कोई भी मंत्री अपना इस्तीफा देने को तैयार नहीं है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने अपने मंत्रियों को इस्तीफा देने की तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं है, वहीं दिग्विजय कोटे से कैबिनेट में शामिल मंत्रियों में भी हड़कंप मचा हुआ है।
 
निगम मंडलों में एडजस्ट करने की कोशिश : विधानसभा के सत्र से पहले विधायकों को निगम मंडल में भी एडजस्ट करने की भी खबर है। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जो फॉर्मूला तैयार किया है उसके मुताबिक जिन मौजूदा मंत्रियों से इस्तीफा लिया जाएगा उनको निगम मंडल में एडजस्ट किया जाएगा।
 
सरकार को फिलहाल खतरा नहीं : विधानसभा के मानसून सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार कर मुख्यमंत्री भले ही सरकार को विधानसभा में किसी भी अप्रिय स्थिति से बचाना चाह रहे हो, लेकिन अगर विधानसभा के मौजूदा सियासी गणित को देखा जाए तो सरकार को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं दिखाई दे रहा है।
 
झाबुआ से भाजपा विधायक जीएस डामोर के इस्तीफा देने के बाद 230 विधानसभा की कुल सदस्य 229 रह गई है, जिसमें कांग्रेस के 114 विधायक है और एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जयासवाल पहले से सरकार में कैबिनेट मंत्री है। ऐसे में सरकार को अपने बल पर सदन में बहुमत हासिल है। इसके साथ ही 3 निर्दलीय, बसपा के 2 और सपा के एक विधायक का समर्थन सरकार को प्राप्त है, वहीं सदन में अब भाजपा विधायकों की संख्या कुल 108 ही रह गई है।

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