भाजपा और कांग्रेस ने सभी 28 सीटों के लिए अपने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी चुनावी रण में है और उसने लगभग 2 दर्जन सीटों पर प्रत्याशी अभी तक घोषित किए हैं। 19 जिलों की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 27 पर कांग्रेस और मात्र आगर सीट पर भाजपा विजयी हुई थी। आगर में भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन के कारण उपचुनाव की नौबत आई है।
राज्य की जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अम्बाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, मलेहरा, अनूपपुर, सांची, ब्यावरा, आगर, हाटपिपल्या, मांधाता, नेपानगर, बदनावर, सांवेर और सुवासरा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे।
कुल 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल से हैं, जहां पर इसी वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। सिंधिया और उनके समर्थक राज्य के मंत्री इस बार भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव मैदान में डटे हैं। शेष 12 सीटें इंदौर, उज्जैन, भोपाल और सागर संभागों से संबंधित हैं।
मध्यप्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 202 विधायक हैं। इनमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 88, बसपा के 2, समाजवादी पार्टी का 1 और 4 निर्दलीय शामिल हैं। इस तरह कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण सदन की स्थिति में जादुई आंकड़ा यानी कि बहुमत साबित करने के लिए सदस्यों की न्यूनतम संख्या 116 है। (वार्ता)