इंदौर। आईपीएस अकादमी के कॉलेज ऑफ लॉ ने अकादमी परिसर के सभागार में 'नए युग के साइबर खतरों के परिप्रेक्ष्य में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000' विषय पर कानून के छात्रों के लिए 'साइबर-सुरक्षा और इसकी जांच में क्षमता निर्माण' कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के अतिथि अध्यक्ष और वक्ता थे राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ, प्रशिक्षक प्रो. गौरव रावल।
कार्यक्रम की शुरुआत देवी सरस्वती पूजन के साथ हुई और प्रो. अशोक कुमावत और डॉ. हेमलता साईवाल ठाकुर, डॉ. रूपाली शर्मा, प्रिंसिपल, कॉलेज ऑफ लॉ की ओर से संकाय सदस्यों द्वारा रावल का फूलों के गुलदस्ते से स्वागत किया गया। विधि महाविद्यालय के फैक्लटी हितांश शर्मा ने प्रो. रावल परिचय कराया।
प्रो. रावल ने साइबर अपराध और देश में हर दिन हो रहे वित्तीय धोखाधड़ी के संक्षिप्त परिचय के साथ शुरुआत की। उन्होंने छात्रों को सोशल मीडिया के लापरवाह उपयोग के प्रति आगाह किया और उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग करते समय सुरक्षित रहने के उपाय बताए। उन्होंने साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे और इस खतरे को रोकने के लिए समाज में जागरूकता की आवश्यकता के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए हाल ही में रिपोर्ट किए गए अपराधों का व्यावहारिक उदाहरण दिया।
प्रो. रावल ने छात्रों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की विभिन्न महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में बताया और साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 के तहत इस अधिनियम में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों के बारे में बताया।
उन्होंने छात्रों को साइबर अपराध के विभिन्न कारणों और रोकथाम के बारे में बताया। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छात्रों को सुरक्षा और गोपनीयता के पहलुओं के बारे में बताया गया। ऑनलाइन लेन-देन, संचार में आसानी और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000/2008 पर चर्चा की गई।
प्रो. रावल ने साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने में भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बहुत गहराई से बताया। उन्होंने साइबर अपराध में नवीनतम रुझानों जैसे साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग और पहचान की चोरी पर भी व्यापक रूप से चर्चा की। उन्होने छात्रों को आईटी अधिनियम 2000 की विभिन्न धाराओं जैसे 66, 67, 67-ए, 67 बी और आईपीसी के तहत क्रमशः 354सी, 354डी, और 509 के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।