इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में लाभचंद छजलानी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की रूपरेखा बताते हुए वेबदुनिया, डायस्पार्क के फाउंडर चेयरमैन एवं सीईओ श्री विनय छजलानी ने कहा कि अभयजी को इंदौर की नब्ज की पहचान है। 'अपना इंदौर' के सभी भागों में इंदौर का ऐतिहासिक परिचय, विभिन्न शख्सियतों के इंदौर से जुड़े अनुभव शामिल हैं। इनमें दी गई जानकारी तथ्यात्मक होने के साथ ही रोचक भी है।
उन्होंने कहा कि इंदौर और नईदुनिया को अलग करके नहीं देख सकते। विनयजी ने कहा कि एक दौर वह भी था जब वेबदुनिया की पहचान भी नईदुनिया से ही होती थी। नईदुनिया को लेकर हर व्यक्ति की यादें हैं चाहे वे अशोक चक्रधर हों, पुष्पा भारती हों या फिर अरुण शौरी हों।
अभयजी के करीबी मित्र डॉ. रमेश बाहेती ने कहा कि अभिमान से परे सौजन्यता और सरलता इनकी विशेषता है। सकारात्मक सोच और इंदौर के प्रति चिंता अभयजी में हमेशा दिखाई देती है। पितृभक्त अभयजी की रग-रग में इंदौर समाया हुआ है। बाबूजी का वाक्य, उनके लिए भगवान का अटल वाक्य होता था।
वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती निर्मला भुराड़िया ने अभयजी से जुड़े संस्मरण साझा करते हुए कहा कि वे साइकिल से घूम-घूमकर इंदौर की नब्ज टटोलते थे और 'गुजरता कारवां' नामक कॉलम लिखते थे। आज समाज और देश में असहिष्णुता देखने को मिल रही और असहमति को गद्दारी समझा जाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं दिखाई देती, ऐसे में मुझे यह कहने में कतई गुरेज नहीं कि अभयजी के दौर में नईदुनिया में सबको अभिव्यक्ति की आजादी थी। इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजक प्रवीण शर्मा भी मंच पर मौजूद थे। कार्यक्रम के सूत्रधार संजय पटेल थे।