2 साल में देश का हर गांव 'आदर्श' बन सकता है : पोपटराव

मंगलवार, 9 मई 2017 (22:10 IST)
इंदौर। महाराष्ट्र के अहमदनगर में सरपंच रहते हुए ग्राम के विकास का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने वाले पोपटराव पवार ने कहा है कि यदि सरकारी बाबू चाह लेंतो मात्र 2 साल में देश में हर गांव आदर्श बन सकता है। हमें ग्रामों में शाश्वत विकास के साथ शाश्वत आनंद को भी जोड़ना होगा।
 
अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में पवार आज जाल सभागृह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें गांधी जी के ग्राम स्वराज के सिद्धांत को हकीकत में ग्रामों में लागू करना होगा। आजादी के बाद हमने ग्राम स्वराज की बात तो बहुत की लेकिन ग्राम स्वराज को लागू नहीं किया। यही कारण है कि शहरी क्षेत्र की समस्याओं ने ग्रामों में भी प्रवेश कर लिया। ग्रामों में जहां पानी के लिए शुद्ध जल के झरने बहते थे, वहां अब शराब पहुंच गई। ग्रामों में जहां प्रेम और सद्‍भाव की संस्कार था, वहां मनमुटाव ने अपना स्थान बना लिया। दरअसल शहरी क्षेत्र की सारी समस्याओं ने ग्रामों में प्रवेश कर लिया।
 
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद गांधीजी ने देशवासियों से कहा था कि चलो गांव की ओर लेकिन उस बात को किसी ने नहीं समझा और आज स्थिति यह हो गई कि 30% गांव शहर में आकर बैठ गया है। गांधीजी की ग्राम स्वराज की अवधारणा का क्रियांवयन सही तरीके से नहीं किया गया। 
 
इस अवधारणा में कहा गया था कि ग्राम में कहां क्या विकास होना है, यह ग्राम में तय होगा लेकिन अभी दिल्ली में टाइप होता है। वहां जो लोग यह तय करते हैं, उन्हें ग्राम की आवश्यकता का अंदाज ही नहीं होता है। गांव से बहने वाली नदी, जिसे गांव वाले मां कहते थे वह कब सीवरेज के पानी में तब्दील हो गई, किसी को अंदाज ही नहीं लग सका। शहरी क्षेत्र की सारी बुराइयां ग्रामों में पहुंच गई, जिसके चलते ग्राम का वातावरण दूषित हुआ और वहां की समस्याएं जटिल हुई।
 
पवार ने कहा कि हमारे गांव में किसी भी महापुरुष की कोई प्रतिमा नहीं लगी हुई है और नहीं कोई जयंती पुण्यतिथि मनाई जाती है। हम तो  महापुरुष द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को अपने जीवन में और अपने ग्राम में उतारने का न केवल संकल्प लेते हैं बल्कि उस संकल्प को पूरा भी करते हैं। जब पहली बार वह सरपंच बने तो उन्होंने कहा कि मैं अपने बचपन वाला गांव वापस लाना चाहता था। यही लक्ष्य लख-लख कर सरपंच बना और इसी दिशा में काम करने से सफलता मिली। इस ग्राम में एक समय जहां प्रति व्यक्ति मासिक आय 800 थी वह अब 27000 हो गई है। 
 
1995 में हमारे गांव में 168 परिवार गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करते थे जबकि आज ऐसा एक भी परिवार नहीं है। गांव में शाश्वत विकास के साथ शास्वत आनंद को जोड़ना होगा क्योंकि यदि विकास हो गया और उसके साथ में बीमारियां आ गई तो जीवन में आनंद नहीं मिल पाएगा और बिना आनंद के किसी विकास का कोई मायने नहीं रह जाएंगे। 
 
इसके साथ ही पवार ने कहा कि यदि देश के सरकारी बाबू चाह लेवे तो 2 साल में देश के सारे गांव आदर्श गांव बन जाएंगे। इस समय हम महाराष्ट्र में हर जिले में पांच आदर्श गांव बनाने के अभियान में लगे हुए हैं। उन्होंने उन्होंने आदर्श ग्राम बनाने के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए कहा कि जाति पाति धर्म अमीरी और गरीबी से ऊपर उठकर जो भी व्यक्ति काम करेगा, वही अपने ग्राम को आदर्श ग्राम के रूप में तब्दील कर सकेगा।
 
कार्यक्रम के प्रारंभ में वक्ता का स्वागत किशन सोमानी, शरद सोमपुरकर, द्वारका मालवीय एवं मिर्जा हबीब बेग ने किया। कार्यक्रम का संचालन हरेराम वाजपेयी ने किया। स्मृति चिन्ह शंभू सिंह ने भेंट किए।  आभार प्रदर्शन श्याम सुंदर यादव ने माना।

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